Budget 2022: ASSOCHAM की सरकार से मांग, कॉपर कंसंट्रेट आयात से सीमा शुल्क हटाया जाए
Budget 2022 Expectations ASSOCHAM के बजट पूर्व सुझावों में सरकार से कहा कि कॉपर कंसंट्रेट पर लगने वाली सीमा शुल्क को हटा दिया जाए। बता दें कि जापान चीन थाईलैंड और मलेशिया जैसी अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ऐसा कर चुकी हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। ASSOCHAM ने सरकार से कॉपर कंसंट्रेट (Copper Concentrate) पर सीमा शुल्क को मौजूदा 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य करने का आग्रह किया है ताकि उद्योग को शून्य शुल्क के तहत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) वाले देशों से मूल्य वर्धित तांबे के उत्पादों (Copper Product) पर आयात के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके। कॉपर कॉन्संट्रेट, कॉपर उद्योग द्वारा उपयोग किया जाने वाला मूल कच्चा माल है।
'कॉपर कंसंट्रेट पर आयात शुल्क जारी रखने का कोई औचित्य नहीं'
ASSOCHAM के बजट पूर्व सुझावों में कहा, "भारत में कॉपर कंसंट्रेट की अनुपलब्धता को देखते हुए कॉपर कंसंट्रेट पर आयात शुल्क जारी रखने का कोई आर्थिक औचित्य नहीं है और यह कॉपर कंसंट्रेट पर सीमा शुल्क को 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य करने के लिए प्रस्तुत किया गया है। यह हमें एक समान अवसर प्रदान करने और शून्य शुल्क के तहत एफटीए देशों से मूल्य वर्धित तांबे के उत्पादों के आयात के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम करेगा।"
'भारत 95 प्रतिशत कॉपर कंसंट्रेट का आयात करता है'
भारतीय तांबा उद्योग देश में इसकी सीमित उपलब्धता के कारण 95 प्रतिशत कॉपर कंसंट्रेट का आयात करता है। घरेलू उपलब्धता कुल आवश्यकता का मात्र 5 प्रतिशत है। कॉपर कंसंट्रेट के आयात पर वर्तमान सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत है, जबकि मुक्त व्यापार समझौतों के तहत परिष्कृत तांबे को भारत में तेजी से आयात किया जा रहा है, जिससे यह एक उल्टे शुल्क संरचना का स्पष्ट मामला बन गया है।
'कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने दी मुफ्त आयात की अनुमति'
जापान, चीन, थाईलैंड और मलेशिया जैसी अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के पास पर्याप्त घरेलू कंसंट्रेट नहीं है लेकिन ये देश अपने देश में मूल्यवर्धन के लिए इस प्रमुख धातु की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तांबे के कंसंट्रेट के मुफ्त आयात की अनुमति देते हैं। इससे भारतीय स्मेल्टरों के लिए समान अवसर प्रभावित हुआ है क्योंकि इन देशों में स्मेल्टरों की लागत संरचना तांबे के सांद्र पर शून्य आयात शुल्क के कारण कम है।