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आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 : महंगाई रोकने के लिए तीन स्तरों पर होंगे उपाय, खाद्यान्नों का बदलना होगा पैटर्न

भविष्य में महंगाई को थामने की सरकार की भावी नीति तीन मोर्चो से निर्धारित होगी। खाने-पीने की चीजों की महंगाई को लेकर सरकार एक दीर्घकालिक नीति पर काम कर रही है। इसके तहत फसलों के विविधीकरण पर जोर देने का काम शुरू हो चुका है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 31 Jan 2022 07:06 PM (IST)Updated: Tue, 01 Feb 2022 07:13 AM (IST)
खराब होने वाले उत्पादों के भंडारण की क्षमता विकसित करनी होगी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूरी दुनिया के सामने महंगाई का खतरा एक बार फिर मंडरा रहा है। पूर्व में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने भी संकेत दिया है कि महंगाई की स्थिति वर्ष 2022-23 में बिगड़ सकती है। इसे भांपते हुए सरकार ने महंगाई प्रबंधन के मोर्चे पर मुस्तैदी बढ़ाने का संकेत दिया है। खासतौर पर खाने-पीने की चीजों की महंगाई आम जनता को ज्यादा परेशान नहीं करे, इसके लिए कदम उठाए जाएंगे। सर्वेक्षण में यह भी दावा है कि महंगाई की स्थिति देश में पिछले कुछ वर्षों में कमोबेश काबू में ही रही है। आरबीआइ की तरफ से तय महंगाई का स्तर (चार प्रतिशत, दो प्रतिशत कम या दो प्रतिशत ज्यादा) के रेंज में ही खुदरा महंगाई की दर रही है।

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भविष्य में महंगाई को थामने की सरकार की भावी नीति तीन मोर्चो से निर्धारित होगी। खाने-पीने की चीजों की महंगाई को लेकर सरकार एक दीर्घकालिक नीति पर काम कर रही है। इसके तहत फसलों के विविधीकरण पर जोर देने का काम शुरू हो चुका है। देश में चावल व गेहूं के विशाल भंडार के मद्देनजर संकेत यह है कि किसानों को दूसरे कृषि उत्पादों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। नीति में आयातित उत्पादों को लेकर दीर्घकालिक व स्थायी नीति बनाने पर खास जोर दिया जाएगा। ऐसा देखा जाता है जैसे ही किसी चीज की कीमत घरेलू बाजार में बढ़ती है उसके आयात को खोलने व निर्यात को प्रतिबंधित करने का काम किया जाता है। सर्वेक्षण का कहना है कि हाल के दिनो में सरकार ने तिलहन आयात को लेकर दूसरे देशों के साथ दीर्घकालिक समझौता किया है जिसका असर होगा। आगामी नीति का तीसरा जोर जल्द नष्ट हो जाने वाले उत्पादों की भंडारण क्षमता को लेकर है और कहा गया है कि इन्हें बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

फोकस यहां

- चावल व गेहूं के विशाल भंडार उपलब्ध, दूसरे कृषि उत्पादों की खेती पर रहेगा केंद्र का फोकस

- नीति में आयातित उत्पादों को लेकर दीर्घकालिक व स्थायी नीति बनाने पर खास जोर दिया जाएगा


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