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Budget 2021: अब तक के सबसे बड़े विनिवेश लक्ष्य की तैयारी, तीन लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है लक्ष्य

आगामी वित्त वर्ष में विनिवेश का लक्ष्य तीन लाख करोड़ तक रखने और उसे हासिल करने की सरकार की बाध्यता रहेगी ताकि राजकोषीय घाटे को काबू में रखा जा सके। एसबीआइ इकोरैप के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार का खर्च 35.7 लाख करोड़ तक रह सकता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 09:47 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 07:51 AM (IST)
Budget 2021: अब तक के सबसे बड़े विनिवेश लक्ष्य की तैयारी, तीन लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है लक्ष्य
Budget 2021: बड़े विनिवेश लक्ष्य की तैयारी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार आगामी बजट में अब तक का सबसे बड़ा विनिवेश लक्ष्य रख सकती है। आगामी वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का लक्ष्य तीन लाख करोड़ रुपये तक का हो सकता है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य रखा था लेकिन अब तक लक्ष्य का छह फीसद ही हासिल किया जा सका है।

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वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में सरकारी खर्च और प्राप्ति में होने वाले बड़े अंतर को कम रखने के लिए विनिवेश एक कारगर उपाय हो सकता है। कोरोना के कारण चालू वित्त वर्ष में सरकार ने कई कंपनियों के विनिवेश में इसलिए भी जल्दबाजी नहीं दिखाई, क्योंकि इससे अच्छी कीमत नहीं मिल पाने का अंदेशा था। अगले वित्त वर्ष में वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद है और इस अवधि में ही चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित विनिवेश कार्यक्रम को भी अंजाम दिया जाएगा। गत जुलाई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों (पीएसयू) में से सरकारी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी और यह काम भी आगामी वित्त वर्ष में पूरा किए जाने की उम्मीद है। इनमें से सभी में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री को केंद्रीय कैबिनेट से भी मंजूरी मिल चुकी है।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष में विनिवेश का लक्ष्य तीन लाख करोड़ तक रखने और उसे हासिल करने की भी सरकार की बाध्यता रहेगी, ताकि राजकोषीय घाटे को काबू में रखा जा सके। एसबीआइ इकोरैप के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार का खर्च 35.7 लाख करोड़ तक रह सकता है जबकि सरकार की प्राप्ति 24.1 लाख करोड़ तक रह सकती है। यह अंतर 11.17 लाख करोड़ का है जो सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) का 5.2 फीसद तक हो सकता है। विनिवेश के बड़े लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब होने पर इस अंतर को कम किया जा सकता है। हालांकि, वित्त वर्ष 2019-20 में भी सरकार विनिवेश लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई थी। गत वित्त वर्ष की बजट घोषणा में 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा गया था जिसे घटाकर 65,000 करोड़ कर दिया गया।

वित्त मंत्रालय के निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अब तक 12,450.24 करोड़ रुपये के विनिवेश को आगे बढ़ाया गया है। दीपम के मुताबिक एयर इंडिया, बीईएमएल, राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स, शिपिंग कॉरपोरेशन जैसी कंपनियों की रणनीतिक बिक्री प्रक्रिया शुरू हो गई है। 

इस वर्ष अब तक इनका विनिवेश

बीडीएल (ओएफएस):  771.46 करोड़

एचएएल (ओएफएस):  4924.23 करोड़

एमडीएल (आईपीओ):  442.79 करोड़

आईआरसीटीसी (ओएफएस):  4473.16 करोड़

आईआरसीटीसी इंप्लाई ओएफएस:  0.76 करोड़

अन्य:  1837.84 करोड़


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