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Budget 2020: बैंक फेल होने पर अब पांच लाख रुपये तक जमा रकम वापस होने की मिली गारंटी

Budget 2020 बजट में डिपाजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन (डीआइसीजीसी) एक्ट 1961 के तहत बैंक जमा की बीमा गारंटी को पांच लाख रुपये कर दिया गया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 04:14 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 08:41 AM (IST)
Budget 2020: बैंक फेल होने पर अब पांच लाख रुपये तक जमा रकम वापस होने की मिली गारंटी
Budget 2020: बैंक फेल होने पर अब पांच लाख रुपये तक जमा रकम वापस होने की मिली गारंटी

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। हाड़-तोड़ मेहनत, खर्च में कटौती और पाई-पाई बचाकर जुटाई गई रकम रखने के लिए ही बैंक है। यह सोच कर करोड़ों लोग खाता खुलवाकर बैंक में रकम जमा करते हैं। अगर बैंक ही फेल हो जाए तब? इस सवाल का जवाब देने में हमेशा सभी जिम्मेदार बचे हैं। हालांकि, शनिवार को पेश किए गए बजट में इस सवाल का जवाब तो नही है लेकिन बैंक में जमा आम आदमी की मेहनत की कमाई के बड़े हिस्से को सुरक्षित रखने की कवायद जरूर है।

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बजट में डिपाजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन (डीआइसीजीसी) एक्ट 1961 के तहत बैंक जमा की बीमा गारंटी को पांच लाख रुपये कर दिया गया है। यानी बैंक फेल होने पर बैंक ग्राहक के खाते में जमा राशि या पांच लाख रुपये, जो भी कम हो, अदा करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक के अधीन आने वाले डीआइसीजीसी की होगी।

जमा की बीमा गारंटी बढ़ने से सहकारी बैंकों के खाताधारक अपने को सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे। देश में इस समय 1551 सहकारी बैंक हैं। इनकी 10646 बैंक शाखाओं में खाताधारकों के 4.56 लाख करोड़ रुपये जमा हैं, जबकि इन बैंकों ने 2.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण बांट रखा है। ऐसे में इन सहकारी बैंकों में जमा खाताधारकों के रकम की सुरक्षा एक अहम मुद्दा है। इसका कारण भी है।

बीते 53 वर्षो के इतिहास में अब तक सबसे अधिक सहकारी बैंक फेल हुए हैं। अंदाजा लगा सकते हैं कि कामर्शियल बैंक केवल 27 फेल हुए हैं जबकि सहकारी बैंकों की यह संख्या 351 हैं। केवल वर्ष 2018-19 का ही आंकड़ा देखें, तो उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा और मध्य प्रदेश के 21 सहकारी बैंक फेल हुए थे। वर्ष 2019 में भी सिलसिला जारी रहा। इन बैंकों में किसी का पांच लाख जमा था तो किसी का तीन लाख।

डीआइसीजीसी के तहत जमा राशि की बीमा गारंटी केवल एक लाख रुपये होने के कारण शेष रकम डूब गई। कई खाताधारक तो इस एक लाख रुपये के लिए ही डीआइसीजीसी के चक्कर काट रहे हैं। 25 साल में पांच संशोधन, बीते 27 साल में महज एक बैंक में जमा राशियों की सुरक्षा और खाताधारकों के हित का ध्यान रखने के लिए वर्ष 1961 में भारतीय रिजर्व बैंक के अधीन निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डिपाजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन) की स्थापना की गई थी।

पहली बार वर्ष 1968 में जमा पर बीमा गारंटी 5000 रुपये की गई। इसके अगले 25 वर्षो में पांच पर इस राशि में बढ़ोतरी हुई और वर्ष 1993 में यह एक लाख रुपये हो गई। इसके बाद अगले 27 वर्ष में किसी ने भी खाताधारकों की जमा राशि की बीमा गारंटी बढ़ाने की दिशा में कोई काम नहीं किया। 27 साल बाद यह पहला मौका है, जब डीआइसीजीसी के बैंकों में जमा रकम की बीमा गारंटी बढ़ाई गई है।


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