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Budget 2020: रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट करने के लिए सरकार को उठाने होंगे ये पांच बड़े कदम

इसके अलावा नए बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को सरकार से जो उम्मीदें हैं उनका जिक्र हम कर रहे हैं।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 11:43 AM (IST)
Budget 2020: रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट करने के लिए सरकार को उठाने होंगे ये पांच बड़े कदम
Budget 2020: रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट करने के लिए सरकार को उठाने होंगे ये पांच बड़े कदम

नई दिल्ली, शिशिर बैजल। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट होगा। 31 जनवरी से बजट सत्र शुर हो जाएगा। इस बार बजट शनिवार को पेश हो रहा है, बावजूद शेयर बाजार खुला रहेगा। हर बार की तरह इस बार भी बजट से आम आदमी के साथ उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं। अगर हम बात रियल एस्टेट सेक्टर की करें तो इसमें भी कई सुधार की जरूरत है। यह सेक्टर भी बजट 2020 में सरकार से कई उम्मीद लगाए बैठा है। हालांकि, सरकार की ओर से रियल एस्टेट सेक्टर को आर्थिक तंगी से निकालने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन यह नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। सरकार ने इस सेक्टर के लिए जो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं उनमें किफायती आवास खंड में फंसी परियोजनाओं के लिए वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) की स्थापना करना बेहतर कदम है। इसके अलावा, माल और सेवा कर (जीएसटी) दर को तर्कसंगत बनाना, समग्र किफायती आवास खंड को बढ़ावा देना और एनबीएफसी को सहारा देना सरकार द्वारा किए गए कुछ अन्य सकारात्मक कदम हैं। इसके अलावा नए बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को सरकार से जो उम्मीदें हैं उनका जिक्र हम कर रहे हैं।

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इंडस्ट्री स्टेटस से 'रियल एस्टेट'

सुधारवादी रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) के तहत जिस तरह से व्यापार का संचालन किया जाता है, उसमें बदलाव करके यह समय रियल एस्टेट को एक पूर्ण उद्योग के रूप में पहचानने का सही समय है। चूंकि, देश की अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट का महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि यह असंख्य सहायक उद्योगों का समर्थन करता है और लाखों लोगों को इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। रियल एस्टेट में वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर बेहतर प्रभाव पड़ता है। उभरते उद्योग की स्थिति डेवलपर्स को कम दरों पर धन जुटाने और पूंजी की लागत में कटौती करने और उनकी कार्य क्षमताओं को बढ़ाने में उपयोगी होगी।

हाउसिंग लोन के मूल पुनर्भुगतान पर कटौती (धारा 80 सी)

मौजूदा समय में आयकर की धारा 80C से हाउसिंग को को विशेष फायदा नहीं है। टैक्स पेयर्स के पास निवेश के कई विकल्प हैं और होम लोन की मूल राशि पर विशेष कर लाभ की कमी के कारण वे अपने घर के खरीद के फैसले को टाल देते हैं, जिससे बिक्री प्रभावित होती है। प्रिंसिपल रीपेमेंट के लिए 150,000 रुपये की एक अलग वार्षिक कटौती होम लोन का विकल्प चुनने के लिए और घर की बिक्री बढ़ाने के लिए उपयोगी कदम साबित होगा।

रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT)

ऐसा देखा गया है कि सरकार ने पहले के बजटों में राजकोषीय प्रोत्साहन देने के उपाय किए हैं, अब तक केवल एक REIT सूची को देखा गया है। सरकार दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कराधान के लिए निवेश की समयसीमा को तीन साल से घटाकर एक साल कर सकती है, जिससे बड़े खुदरा निवेशक की भागीदारी होगी।

अफोर्डेबल हाउसिंग

पिछले कुछ बजटों में किफायती आवास मांग को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, हालांकि, इसके बावजूद बिक्री धीमी बनी हुई है। इसलिए सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए आगामी बजट में कुछ बड़े कदम उठाने की जरूरत है।

(एनबीएफसी नकदी संकट) NBFC liquidity crisis

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की पूंजी संकट पूरी तरह से डेवलपर और रियल एस्टेट क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इस पर भी सराकर को ध्यान देने की जरूरत है।

लेखक Knight Frank India के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं


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