FY18 में खुदरा मुद्रास्फीति गिरकर 6 वर्ष के निचले स्तर के साथ 3.3 फीसद रही
इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया है कि केंद्र सरकार के लिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 29 जनवरी 2018 को पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया कि औसत खुदरा मुद्रास्फीति 2017-18 में गिरकर 3.3 फीसद के स्तर पर आ गई जो कि बीते 6 साल का निम्नतर स्तर है। हालांकि अर्थव्यवस्था एक स्थिर मूल्य की ओर आगे बढ़ रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी 2018 को एनडीए सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश करेंगे।
इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया, “केंद्रीय सरकार के लिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है।” उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश में मुद्रास्फीति धीमी रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित प्रमुख मुद्रास्फीति, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की द्वैमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान अहम कारक साबित हो सकती है। इस अवधि के दौरन 3.3 फीसद का औसत स्तर बीते छह वित्त वर्षों के दौरान निचला स्तर है। अगर हाउसिंग, फ्यूल एवं लाइट को छोड़ दिया जाए तो प्रमुख वस्तु समूहों में मुद्रास्फीति में गिरावट व्यापक थी।
इस सर्वे में यह भी बताया गया कि देश की अर्थव्यवस्था ने उच्च एवं चर मुद्रास्फीति की अवधि से पिछले चार वर्षों में अधिक स्थिर कीमतों के बीच एक क्रमिक परिवर्तन देखा है। सीपीआई आधारित प्रमुख मुद्रास्फीति लगातार चौथे वर्ष नियंत्रण में रही है। इस सर्वे में कहा गया, “वास्तव में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मुद्रास्फीति में गिरावट एक सौम्य खाद्य मुद्रास्फीति का संकेत है, जो कि (-) 2.1 फीसद से 1.5 फीसद रही।”