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Budget 2021: MSMEs के लिए दोगुना हुआ बजट आवंटन, AI और मशीन लर्निंग पर होगा जोर

BUDGET 2021 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट घोषणाओं के तहत सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई के लिए नई व्यवस्थाओं की बात की। उन्होंने एमएसएमई को विकसित करने के लिए 15700 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 12:16 PM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 03:17 PM (IST)
Budget 2021:  MSMEs के लिए दोगुना हुआ बजट आवंटन,  AI और मशीन लर्निंग पर होगा जोर
एमएसएमई की विकास के लिए 15700 करोड़

नई दिल्ली, एजेंसी। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) सेक्टर का बजट इस बार दोगुना हो गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को संसद में बजट पेश किया। उन्होंने कहा, 'एमएसएमई के लिए नई व्यवस्थाएं की जाएंगी। एमएसएमई को विकसित करने के लिए 15700 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, इस सेक्टर में अब 'एआई और मशीन लर्निंग पर जोर दिया जाएगा। साथ ही छोटी कंपनियों के लिए पेडअप कैपिटल सीमा बढ़ाई जाएगी। '  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा, 'इस बजट में MSMEs और इंफ्रास्ट्रक्टर पर विशेष ज़ोर दिया गया है।'

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पेड-अप  कैपिटल का अर्थ - 

पेड-अप शेयर कैपिटल वह राशि है जिसके लिए शेयरधारकों को शेयर जारी किए जाते हैं और भुगतान शेयरधारकों द्वारा किया जाता है। यह राशि वास्तविक फंड है जो कंपनी शेयरों के मुद्दे पर प्राप्त करती है।  यह राशि आरंभिक सार्वजनिक पेशकश के रूप में उठाई जाती है और कंपनी के वित्त का हिस्सा बनती है। 

निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री के तौर पर लोकसभा में आज तीसरी बार केंद्रीय बजट पेश कर रहीं हैं जो कोविड-19  महामारी काल का पहला बजट है। उन्होंने इसके लिए कहा भी कि यह संकट में तैयार किया गया बजट है। बता दें कि कोविड-19 के कारण देश की अर्थव्यस्था में अहम भूमिका निभाने वाला यह क्षेत्र संकट में है।

इसी सेक्टर से आएंगी सबसे ज्यादा नौकरियां

केंद्र की मोदी सरकार अगले कुछ वर्ष में एमएसएमई सेक्टर में 5 करोड़ नौकरियां पैदा करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा था कि केंद्र सरकार केवल एमएसएमई सेक्टर से ही 5 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने की योजना बना रही है। सरकार का लक्ष्य आर्थिक विकास में एमएसएमई योगदान को मौजूदा 30 फीसद से बढ़ा कर 40 प्रतिशत पर पहुंचाना है। वहीं एमएसएमई की निर्यात में भागीदारी भी 48 प्रतिशत से बढ़ा कर 60 प्रतिशत तक पहुंचानी है।


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