GGS रिफाइनरी में चल रहा कम प्रदूषण वाले BS-6 फ्यूल के उत्पादन पर काम, देशभर में होगी सप्लाई
ईंधन में सल्फर की मात्रा कम करने के लिए बीएस-6 ग्रेड का फ्यूल लाया जा रहा है। अभी बीएस-4 ईंधन में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम अर्थात पार्ट्स प्रति दस लाख है। (PCPixabay)
बठिंडा, साहिल गर्ग। बठिंडा की गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी में पॉल्यूशन कम करने वाले बीएस-6 फ्यूल के उत्पादन पर काम हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब सिर्फ बीएस-6 वाहनों को अगले वर्ष पहली बेचने का आदेश जारी किया हुआ है। इसके लिए केंद्र सरकार ने बीएस-6 ग्रेड फ्यूल को तैयार करने के लिए देश की रिफाइनरियों को निर्देश दिए हैं। इन सबमें बठिंडा की गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी इस पर तेजी से काम कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि यहां पर बीएस-6 फ्यूल को तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट लगाने के अलावा पूरी योजना बना ली गई है। इस प्रोजेक्ट को दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद यहां से देशभर में बीएस-6 फ्यूल की सप्लाई होगी। फिलहाल बठिंडा की रिफाइनरी ने इसको पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया है।
यह है बीएस-6 ग्रेड फ्यूल
बीएस-4 से सीधा बीएस-6 ग्रेड फ्यूल का मतलब है कि ईंधन में सल्फर की मात्र को कम किया जाना है। अभी बीएस-4 पेट्रोल और डीजल में सल्फर की मात्र 50 पीपीएम यानी पार्ट्स प्रति 10 लाख है। बीएस-6 ग्रेड फ्यूल में सल्फर की मात्र महज 10 पीपीएम रहना है। दूसरी तरफ बीएस-6 फ्यूल के साथ थोड़ा बहुत रेट भी बढ़ने की संभावना है, लेकिन तेल कंपनियों का कहना है कि फिलहाल इसको लोगों से नहीं वसूला जाएगा।
आप पर क्या होगा असर
बीएस-6 ईंधन को ग्राहक अपने मौजूदा बीएस-3 व बीएस-4 ईंधन के अनुकूल बने वाहनों में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह फायदेमंद भी है। ईंधन में सल्फर की मात्र जितनी कम होगी, वह उतना ही कम जलेगा। कम सल्फर वाला पेट्रोल कम पॉल्यूशन पैदा करेगा। इतना ही नहीं, सल्फर की मात्र कम होने से पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर की मात्र भी धुएं में कम होगी। एक अनुमान के मुताबिक बीएस-4 के अनुरूप बनी डीजल कार को अगर बीएस-6 ईंधन पर चलाया जाए तो औसतम 50 पसेर्ंट तक कम पीएम उत्सर्जित होगा।
अभी ऐसे हो रही ईंधन की सप्लाई
पंजाब के अलावा जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्सों व उत्तर भारत में बीएस-4 फ्यूल की सप्लाई हो रही है।
इससे होगा यह फायदा
हवा में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। हवा में जहरीले तत्व कम हो सकेंगे।
बीएस-4 के मुकाबले बीएस-6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पीएम के मामले में बीएस-6 ग्रेड का डीजल काफी अच्छा होगा
बीएस-5 क्यों लागू नहीं हुआ
इसकी एक वजह ये है कि बीएस-5 और बीएस-6 ईंधन में जहरीले सल्फर की मात्र बराबर होती है। जहां बीएस-4 ईंधन में 50 पीपीएम सल्फर होता है, बीएस-5 व बीएस-6 दोनों तरह के ईंधनों में सल्फर की मात्र 10 पीपीएम ही होती है। इसलिए सरकार ने बीएस-4 के बाद सीधे बीएस-6 लाने का फैसला किया।