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जल्द आने वाला है वाई-फाई बूथ का जमाना, जानें कितना देना होगा शुल्क और कहां लगेंगे ये बूथ

टेलीकॉम विभाग ट्राई के इस पब्लिक वाई-फाई के मॉडल से कमोबेश सहमत दिख रहा है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 10:30 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 06:27 AM (IST)
जल्द आने वाला है वाई-फाई बूथ का जमाना, जानें कितना देना होगा शुल्क और कहां लगेंगे ये बूथ
जल्द आने वाला है वाई-फाई बूथ का जमाना, जानें कितना देना होगा शुल्क और कहां लगेंगे ये बूथ

नई दिल्ली, राजीव कुमार। देश की दूरसंचार क्रांति में एक दौर था, जब हर गली-मुहल्ले और चौक-चौराहों पर एक नहीं, कई-कई पीसीओ बूथ हुआ करते थे। इन पीसीओ में एक निर्धारित शुल्क देकर लोग अपने परिजन से फोन पर बात करते थे। उस दौर में पान दुकान से लेकर किराना दुकान में एक फोन रखा दिख जाता था। मोबाइल फोन की दुनिया ने पीसीओ की उस पूरी व्यवस्था को खत्म कर दिया। अब किसी शहर में पीसीओ लगभग नहीं दिखता है। बहरहाल, मोबाइल फोन की वजह से ही वह दौर एक नए रूप में सामने आता दिख रहा है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिश को अगर टेलीकॉम विभाग ने हरी झंडी दे दी तो एक बार फिर हर गली-मुहल्लों, चौक-चौबारों और पान से लेकर किराना दुकानों में वाई-फाई कनेक्शन का बूथ दिखेगा। 

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नयी व्यवस्था में ग्राहक जाएंगे और इस तरह के बूथ पर महज दो रुपये में पर्याप्त डाटा का उपयोग कर अपनी इंटरनेट संबंधी जरूरतें पूरी करेंगे। यह मामला तीन साल पुराना है, जब ट्राई ने पब्लिक डाटा ऑफिस एग्रीगेटर (पीडीओए) के माध्यम से पान व किराना की दुकान पर पेड वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन सुविधा देने की सिफारिश टेलीकॉम विभाग से की थी। लेकिन तीन साल तक इस पर कोई सुध नहीं ली गई। अचानक इस वर्ष मई में टेलीकॉम विभाग ने ट्राई से उनकी सिफारिशों पर कुछ और स्पष्टीकरण मांगा। गत 29 मई को ट्राई ने टेलीकॉम विभाग के सभी सवालों पर अपना स्पष्टीकरण भेज दिया। टेलीकॉम विभाग ट्राई के इस पब्लिक वाई-फाई के मॉडल से कमोबेश सहमत दिख रहा है। 

ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा कहते हैं, 'यह तो कह सकते हैं कि मामला बढ़ रहा है, तीन साल बाद टेलीकॉम विभाग ने जवाब मांगा। हमने तुरंत उनके सभी सवालों के जवाब दे दिए।' ट्राई ने हाल ही में टेलीकॉम विभाग को भेजे गए अपने जवाब में कहा है कि देश में एक करोड़ वाई-फाई हॉट-स्पॉट लगाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमलोगों को नए सिरे से उपभोक्ता के हिसाब से सोचना चाहिए। 

ट्राई ने अपनी सिफारिश में पब्लिक डाटा ऑफिस एग्रीगेटर (पीडीओए) की स्थापना की बात कही थी। टेलीकॉम विभाग ने इसकी जगह वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (वानी) की वकालत की है जिसके तहत कोई भी इकाई (कंपनी, प्रोप्राइटरशिप, सोसाइटीज, गैर-मुनाफावाली) पेड पब्लिक वाई-फाई एक्सेस प्वाइंट स्थापित कर सकेगी। उन्हें इसके लिए लाइसेंस लेना होगा, जो काफी आसान होगा। यह इकाई छोटी-छोटी दुकानों पर अपने प्वाइंट बनाएगी जहां आम लोग जाकर अपनी जरूरत के हिसाब से वाई-फाई का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह 2 रुपये से लेकर 20 रुपये के पैक में उपलब्ध हो सकता है। उपभोक्ता को अपना पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य होगा।  

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पैक का भुगतान डिजिटल तरीके से वाई-फाई इस्तेमाल के पहले ही करना होगा। किराना व पान की दुकान जैसे एक्सेस प्वाइंट को कमीशन दिया जाएगा। ट्राई के मुताबिक इस प्रकार की सुविधा शुरू करने से वाई-फाई एक्सेस और उसके रखरखाव के कारोबार में छोटी-छोटी कंपनियां आगे आएंगी। किराना जैसी दुकान में यह सुविधा शुरू करने से उनकी बिक्री भी बढ़ेगी क्योंकि वाई-फाई के इस्तेमाल के दौरान उपभोक्ता एक निश्चित समय तक उस दुकान के पास रहेगा तो कुछ न कुछ खरीदारी कर सकता है।


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