Move to Jagran APP

तेल कीमत और फेडरल रिजर्व के मुकालबे ब्रेग्जिट से भारत को ज्य़ादा ख़तरा

ऐसा माना जा रहा है कि ब्रिग्जिट से वैश्विक बाजार में बड़ा असर पड़ेगा और उससे भारत भी अछूता नहीं बचेगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 14 Jun 2016 11:42 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jun 2016 12:24 PM (IST)
तेल कीमत और फेडरल रिजर्व के मुकालबे ब्रेग्जिट से भारत को ज्य़ादा ख़तरा

नई दिल्ली। ब्रेग्जिट को लेकर वैश्विक बाज़ार में हड़कंप मचा हुआ है कि आखिर जब 23 जून को वोटिंग होगी तो उसमें ब्रिटेन का क्या रूख रहनेवाला है क्योंकि दुनियाभर के कई देश इससे सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। 23 जून को वोटिंग के बाद ये तय हो जाएगा कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ के साथ रहेगा या नहीं।

loksabha election banner

अगर ब्रिटेन यूरोप से अलग जाने का रास्ता चुनता है तो इसके यूरोपिय संघ के सदस्यों के साथ संबंधों में काफी अंतर आएगा। दोनों ही पक्षों को इसमें अपने फायदे और नुकसान है। फाइनेंशियल टाइम्स का अनुमान है कि अगर ब्रिग्जिट होता है तो इससे जीडीपी में करीब 7 से 7 फीसदी के बीच गिरावट दर्ज होगी।

जबकि, दूसरी तरफ इंडिपेंडेंट थिंक टैंक ‘ओपन यूरोप’ के मुताबिक, अगर ब्रिटेन यूरोपीय संघ के साथ रहने के लिए वोट करता है और यूरोपिय संघ के सदस्य देशों के साथ उदार व्यापार समझौता करने में कामयाब होता है तो 2030 तक जीडीपी को करीब 1.6 फीसदी का फायदा होगा।

ये भी पढ़ें- ईयू में नहीं रहना चाहते ज्यादातर ब्रिटिश

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, यूरोपीय संघ ब्रिटेन के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है क्योंकि यहां पर ब्रिटेन करीब 40 से 45 फीसदी अपना निर्यात करता है। यूके का पहला लक्ष्य यूरोपिय संघ के बाजारों में अपनी पहुंच को और बढ़ाना होना चाहिए। लेकिन, अगर ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर जाने के लिए वोटिंग करता है तो फिर उसके साथ किसी तरह की उदार व्यापार नीति पर समझौता करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इसके आर्थिक कारक दोनों ही पक्षों को नुकसान पहुंचाएगा। ब्रिटेन यूरोपीय संघ का एक मजबूत सदस्य है लेकिन यदि ब्रिटेन वहां से अलग होने का फैसला लेता है तो यह यूरोपिय संघ को आर्थिक और राजनीतिक दोनों तौर पर कमजोर करेगा।

ब्रेग्जिट का सीधा असर वहां से चलनेवाली फ्लाइट्स पर पड़ेगा। इसके अलावा, लंदन के रीयल-एस्टेट बाजार पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा जो की दुनिया का सबसे ज्यादा अस्थिर माना जाता है। कुल मिलाकर ब्रेग्जिट से महंगाई और मुश्किलें बढ़ेंगी।


न्ययॉर्क के बाहर लंदन को वैश्विक तंत्रिका का केन्द्र माना जाता है। लेकिन, जब वैश्विक व्यापार और वाणिज्य का बात होती है तो ब्रेग्जिट के बाद यूरोपिय संघ कमजोर पड़ सकता है। ब्रिटेन के लिए यूरोपिय संघ से अलग होने के मतलब है प्रवासी कानून का कठोर होना। यहां पर ये गौर करनेवाली बात है कि ब्रिटेन ने कुशल प्रवासियों से काफी फायदा उठाया है। ऐसा अनुमान है कि ब्रिटेन में यूरोपिय संघ के करीब 2.15 श्रमिक हैं।

ये भी पढ़ें- भारत और अमेरिका ने जताई इच्छा, यूरोपीय संघ में ही बना रहे ब्रिटेन

ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकॉनोमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के मुताबिक, 2005 के बाद ब्रिटेन की तरक्की में आधी हिस्सेदारी वहां के प्रवासियों की है और उस समय से लेकर अब तक करीब 2.2 मिलियन जॉब पर प्रवासी ही रखे गए हैं। ऐसे में सख्त प्रवासी कानून के बाद यूरोपिय संघ के कुशल श्रमिकों के लिए वहां पर काम करना मुश्किल हो जाएगा।

भारत पर ब्रेग्जिट का असर

जहां पर ब्रेग्जिट के भारत पर असर की बात है तो आनेवाले दिनों में इसको लेकर वैश्विक घबराहट बढ़ेगी और पूंजी प्रवाह पर भी इसका असर होगा। यूरोपिय संघ के साथ भारत बड़े तौर पर कारोबार के लिहाज से जुड़ा हुआ है। यूरो और पौंड में किसी तरह की गिरावट का सीधा असर भारत से किए जानेवाले निर्यात पर पड़ेगा। भारत के व्यवसायियों यूरोप और ब्रिटेन ही जगह से बेहद गहराई से जुड़े हैं।

‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 800 भारतीयों के यूके में अपने व्यवसाय हैं जिनमें करीब एक लाख दस हजार श्रमिक काम कर रहे हैं। ऐसे में ब्रेग्जिट से निवेश का प्रवाह प्रभावित होगा और यूरोपीय में ब्रिटेन की भूमिक कम हो जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.