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घटी थोक महंगाई दर, बढ़ा ब्याज में कटौती का दबाव

खुदरा महंगाई में लगातार गिरावट के बाद थोक महंगाई दर भी छह महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। बीते छह महीने से थोक महंगाई दर शून्य से नीचे बनी हुई है। अप्रैल में यह शून्य से 2.65 फीसद नीचे के स्तर पर आ गई है। महंगाई की दर

By Manoj YadavEdited By: Published: Thu, 14 May 2015 09:24 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2015 09:29 PM (IST)

नई दिल्ली, ब्यूरो। खुदरा महंगाई में लगातार गिरावट के बाद थोक महंगाई दर भी छह महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। बीते छह महीने से थोक महंगाई दर शून्य से नीचे बनी हुई है। अप्रैल में यह शून्य से 2.65 फीसद नीचे के स्तर पर आ गई है। महंगाई की दर में गिरावट को देखते हुए रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ गया है। माना जा रहा है कि जून में मौद्रिक नीति की समीक्षा में आरबीआइ कर्ज दर में चौथाई फीसद की कमी कर सकता है।

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महंगाई की दर में गिरावट का सिलसिला नवंबर, 2014 से ही बना हुआ है। पिछले साल अप्रैल में थोक मूल्यों पर मापी जाने वाली मुद्रास्फीति की यह दर 5.55 फीसद थी। जानकारों की मानें तो खुदरा और थोक महंगाई में आई गिरावट के साथ औद्योगिक उत्पादन के घटने से केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरों में कमी लाने का दबाव बढ़ा है। सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक महंगाई दर में गिरावट के लिए ईंधन, पॉवर, खाने-पीने की चीजों और गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी बड़ी वजह रही है।

अप्रैल में खाद्य उत्पादों की थोक महंगाई दर गिरकर 5.73 फीसदी पर आ गई। मार्च में यह दर 6.31 फीसदी पर थी। अप्रैल में चावल, सब्जियों, आलू, प्याज और दूध की कीमतों में कमी आई है। जबकि गेहूं, फल, अंडे मार्च की तुलना में कुछ महंगे हुए हैं। ईंधन और पावर क्षेत्र की महंगाई दर में गिरावट बरकरार है।


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