VPF: ज्यादा रिटर्न के साथ चाहते हैं PPF जैसे लाभ, तो यहां करें निवेश, होगा फायदा ही फायदा
VPF वीपीएफ में एक वेतनभोगी व्यक्ति अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (DA) का अधिकतम 100 फीसद निवेश कर सकता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रिटायरमेंट के बाद भी खुद को आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग और रिटायरमेंट सेविंग बहुत जरूरी होती है। इसके लिए भारत में मुख्य रूप से पीपीएफ, टर्म डिपॉजिट और दूसरी सरकारी समर्थन वाली निवेश योजनाएं प्रचलन में हैं। इनमें में पीपीएफ रिटायरमेंट प्लानिंग के लिहाज से सर्वाधिक लोकप्रिय है। रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए पीपीएफ (PPF) से अधिक रिटर्न देने वाली एक दूसरी स्कीम है वीपीएफ (VPF) यानी वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड। यह ईपीएफ से मिलती जुलती स्कीम है। ईपीएफ और वीपीएफ में समान ब्याज दर लागू होती है।
ये लोग कर सकते हैं निवेश
वीपीएफ में केवल ईपीएफओ (EPFO) में रजिस्टर्ड वेतनभोगी कर्मचारी ही निवेश कर सकते हैं। कंपनी के HR या PD विभाग में वीपीएफ के लिए एक अतिरिक्त योगदान शुरू करने का निवेदन करके वीपीएफ में निवेश शुरू करा सकते हैं।
निवेश सीमा
वीपीएफ में एक वेतनभोगी व्यक्ति अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (DA) का अधिकतम 100 फीसद निवेश कर सकता है।
ब्याज दर
श्रम मंत्रालय की मौजूदा गाइडलाइन के अनुसार, वीपीएफ सभी योग्य व्यक्तियों से 8.50 फीसद ब्याज दर की पेशकश करती है।
जानिए कैसे काम करता है विपीएफ निवेश
वीपीएफ अकाउंट के लिए सफलतापूर्वक रजिस्ट्रेशन कराने के बाद सैलरी से एक निश्चित राशि काटी जाती है। यहां निवेश ईपीएफ अकाउंट की तरह ही सुरक्षित रहता है। अर्थात कर्मचारी को सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज दर के हिसाब से रिटर्न प्राप्त होता है।
प्रीमैच्योर निकासी
वीपीएफ अकाउंट की समयावधि इपीएफ अकाउंट के समान ही होती है। अर्थात यह कर्मचारी के रिटायर होने या इस्तीफा दे देने तक होती है। अगर कोई कर्मचारी पांच साल पूरे होने से पहले वीपीएफ अकाउंट से निकासी करता है, तो निकासी राशि भुगतान योग्य टैक्स स्लेब के अनुसार कर योग्य होगी। हालांकि, कुछ चुनिंदा उद्देश्यों के लिए कर्मचारी वीपीएफ बैलेंस से नॉन-रिफंडेबल एडवांस निकाल सकता है। इन उद्देश्यों में घर खरीदना, होम लोन के भुगतान, मेडिकल आवश्यकता, बच्चों की शिक्षा और शादी शामिल हैं। एडवांस की यह राशि कर्मचारी के उद्देश्य और सेवा की अवधि पर भी निर्भर करती है।
कर लाभ
आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत वीपीएफ निवेश में 1.5 लाख तक की आयकर छूट मिलती है। वहीं, वीपीएफ राशि पर कमाया गया ब्याज पूरी तरह से टैक्स फ्री है। साथ ही मैच्योरिटी के समय निकाली जाने वाली राशि में भी कर से छूट दी गई है।