Move to Jagran APP

Vi पर नहीं होगा सरकार का नियंत्रण, कंपनी के बड़ अफसर ने किया क्‍लीयर

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) द्वारा सरकार को चुकाए जाने वाले बकाया पर ब्याज को इक्विटी में बदलने के फैसले के एक दिन बाद कंपनी के सीईओ ने बुधवार को कहा कि सरकार ने अपना यह रुख बिलकुल स्पष्ट कर दिया था।

By Ashish DeepEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 01:00 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 02:23 PM (IST)
Vi पर नहीं होगा सरकार का नियंत्रण, कंपनी के बड़ अफसर ने किया क्‍लीयर
सरकार कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारकों में एक बन जाएगी। (Pti)

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) द्वारा सरकार को चुकाए जाने वाले बकाया पर ब्याज को इक्विटी में बदलने के फैसले के एक दिन बाद कंपनी के सीईओ ने बुधवार को कहा कि सरकार ने अपना यह रुख बिलकुल स्पष्ट कर दिया था कि वह इस दूरसंचार कंपनी का परिचालन अपने हाथों में नहीं लेना चाहती है। वीआईएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्र टक्कर ने ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा कि वर्तमान प्रवर्तक कंपनी के परिचालनों का प्रबंधन करने और उसे चलाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

loksabha election banner

कर्ज संकट का सामना कर रही वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) ने सरकार को चुकाए जाने वाले करीब 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने का मंगलवार को फैसला किया था, जो कंपनी में लगभग 35.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर होगा। अगर यह योजना पूरी हो जाती है, तो सरकार कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारकों में एक बन जाएगी। कंपनी पर इस समय करीब 1.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।

टक्कर ने कहा कि बकाया पर ब्याज को इक्विटी में बदलने के विकल्प से संबंधित दूरसंचार विभाग के पत्र में ऐसी कोई शर्त शामिल नहीं है, जिसमें निदेशक मंडल में सरकार को जगह देने की बात हो। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रवर्तक कंपनी के परिचालन का प्रबंधन संभालने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार के साथ हमारे पूरे संवाद का निचोड़ पैकेज के रूप में निकला। यहां तक कि पैकेज की घोषणा के बाद भी सरकार ने यह स्पष्ट रूप से कहा कि वह कंपनी का संचालन अपने हाथों में नहीं लेना चाहती है। कंपनी के परिचालन को अपने अधिकार में लेने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। वह चाहती है कि बाजार में तीन निजी कंपनियां हों, सरकार एकाधिकार या केवल दो कंपनियों का बाजार पर अधिकार नहीं चाहती।

टक्कर ने कहा कि सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चाहती है कि कंपनी के प्रवर्तक ही इसे चलाएं और आगे ले जाएं। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में पूरी प्रक्रिया संपन्न होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि कंपनी की अधिकांश कर्ज देयता सरकार के प्रति है, यह हमारे लिए स्पष्ट था कि कुछ ऋण को इक्विटी में परिवर्तित करना कंपनी के लिए अपने ऋण बोझ को कम करने का एक अच्छा विकल्प है।

कंपनी ने बताया कि इस योजना के पूरी होने पर कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 35.8 फीसदी के आसपास हो जाएगी, जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी करीब 28.5 प्रतिशत (वोडाफोन समूह) और लगभग 17.8 प्रतिशत (आदित्य बिड़ला समूह) रह जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.