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वेतन पर नीलेकणि ने सुधारीं गलतियां: वी. बालाकृष्णन

बालाकृष्णन ने कहा कि अधिकारियों के लिए स्पष्ट पैमाना होना चाहिए कि उन्हें कंपनी की विकास दर को सुधारकर शेयरधारकों के लिए वैल्यू बढ़ानी है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 07 Jan 2018 01:22 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jan 2018 01:31 PM (IST)
वेतन पर नीलेकणि ने सुधारीं गलतियां: वी. बालाकृष्णन
वेतन पर नीलेकणि ने सुधारीं गलतियां: वी. बालाकृष्णन

नई दिल्ली (पीटीआई)। देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस के पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) वी. बालाकृष्णन ने सीईओ के वेतन निर्धारण में कंपनी के पिछले बोर्ड की गलतियों को दुरुस्त करने के लिए सह संस्थापक व मौजूदा चेयरमैन नंदन नीलेकणि की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि अब कंपनी ने सीईओ का वाजिब वेतन तय किया है।

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उन्होंने कहा कि नंदन की अगुआई में बोर्ड ने पिछली गलतियों को ठीक कर लिया है। नए सीईओ सलिल पारिख का वेतन व अन्य भत्ते उचित प्रतीत होते हैं। उनके पैकेज का बड़ा हिस्सा वैरिएबल भत्ते के रूप में दिया जाएगा। इससे वे कंपनी के साथ लंबे समय तक जुड़े रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन के अधिकारियों के वेरिएबल भत्ते कंपनी के प्रदर्शन के साथ जोड़कर बोर्ड ने अहम महत्वपूर्ण उठाया है।

बालाकृष्णन ने कहा कि अधिकारियों के लिए स्पष्ट पैमाना होना चाहिए कि उन्हें कंपनी की विकास दर को सुधारकर शेयरधारकों के लिए वैल्यू बढ़ानी है। अगर बोर्ड कभी विवेकाधिकार के अनुसार कोई फैसला लाना चाहता है तो उसे शेयरधारकों को वाजिब कारण के साथ अवगत कराना चाहिए। इन्फोसिस में अगले वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान पारिख को 6.5 करोड़ रुपये फिक्स्ड वेतन मिलेगा। इसके अलावा 9.75 करोड़ रुपये वेरिएबल पे व भत्ते मिलेंगे जो कंपनी के टारगेट से जुड़े होंगे।

कंपनी की पिछली गलतियों के बारे में बालाकृष्णन ने कहा कि दुर्भाग्यवश कंपनी के संस्थापकों की संस्कृति और सिद्धांतों को कभी सही से नहीं समझा गया। इसके कारण वरिष्ठ प्रबंधन के अधिकारियों को अत्यधिक वेतन दिया गया और वे संगठन से कट गए। पूर्व सीईओ विशाल सिक्का का वेतन बिना किसी स्पष्ट कारण से अत्यधिक बढ़ाया गया। जबकि बकाया संगठन यानी बहुसंख्य कर्मचारियों का मामूली वेतन रहा जिससे असंतोष बढ़ा।

बालाकृष्णन ने आरोप लगाया कि सीईओ का वेतन बढ़ाने के लिए कंपनी का राजस्व 2020 तक 20 अरब डॉलर करने का मोटा-मोटी लक्ष्य बताया जाता था। जबकि इसके पीछे कोई मजबूत तर्क नहीं होते थे। उन्होंने कंपनी के सह संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति के विचारों का हवाला दिया कि पूंजीवाद में अधिकता समाज के बड़े वर्गो के लिए स्वीकार्यता मुश्किल बना देता है।


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