भारत को बड़ा झटका देने की तैयारी में ट्रंप, टैक्स फ्री इंपोर्ट को खत्म करने की तैयारी में अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो कि अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं ने कई बार ऊंचे टैरिफ को लेकर भारत से बात की है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत को जल्द ही बड़ा झटका दे सकते हैं। ट्रंप ने कहा है कि वह भारत को दिए जाने वाले प्रिफरेंशियल ट्रेड स्टेट्स (तरजीही व्यापार दर्जे) को खत्म करने का इरादा रखते हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी संसद 'कांग्रेस' को पत्र लिखकर इस बारे में जानकारी भी दी है। अगर ट्रंप इस योजना को लागू करने में सफल होते हैं तो करीब 5.6 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात अमेरिकी बाजार में टैक्स फ्री नहीं रह जाएगा। भारत के निर्यात को इस कदम से बड़ा झटका लगेगा।
भारत, जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) की व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है, जिसके तहत उसके उत्पादों को अमेरिका बाजार में टैक्स फ्री इंपोर्ट की सुविधा मिलती है।
भारत का नया ई-कॉमर्स नियम, मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों को तय किया जाना और आईसीटी प्रॉडक्ट्स पर शुक्ल लगाया जाना, ऐसे मुद्दे रहे हैं, जिसने दोनों देशों के व्यापार संबंधों को प्रभावित किया है और ट्रंप बार-बार इन मुद्दों का भी जिक्र करते रहे हैं।
ट्रंप का कहना है कि कि नई दिल्ली अमेरिका को उसके बाजारों में "न्यायसंगत और उचित" पहुंच का आश्वासन देने में विफल रही है। इस घोषणा को द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो कि अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं ने कई बार ऊंचे टैरिफ को लेकर भारत से बात की है। शनिवार को मैरीलैंड में चार दिवसीय सालाना कंसर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कांफ्रेंस (सीपीएसी) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत बहुत अधिक शुल्क लगाने वाला देश है।
ट्रंप ने भी बदले में भारतीय उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगाने की धमकी दी है।
अमेरिकी सदन के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी को लिखे पत्र में ट्रंप ने कहा कि वो इस बात को लेकर दृढ़ है कि भारत ने अमेरिका को यह आश्वासन नहीं दिया है कि वह अपने बाजारों में उसकी न्यायसंगत और उचित पहुंच प्रदान करेगा।
ट्रंप ने सोमवार को कांग्रेस नेताओं को लिखे अपने पत्र में कहा था, "मैं यह कदम इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि अमेरिका तथा भारत सरकार के बीच मजबूत संबंध के बावजूद मैंने पाया है कि भारत ने अमेरिका को यह आश्वासन नहीं दिया है कि वह अपने बाजारों में उसकी न्यायसंगत और उचित पहुंच प्रदान करेगा।"