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ट्रेड यूनियन 3 जुलाई को करेंगे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, सरकारी नीतियों से हैं नाराज

ट्रेड यूनियन संगठन ने कहा कि सरकार का तथाकथित 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज पीड़ित लोगों के साथ एक धोखा और क्रूर मजाक के अलावा कुछ नहीं है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 06:00 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 02:48 PM (IST)
ट्रेड यूनियन 3 जुलाई को करेंगे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, सरकारी नीतियों से हैं नाराज
ट्रेड यूनियन 3 जुलाई को करेंगे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, सरकारी नीतियों से हैं नाराज

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस और भारतीय व्यापार संघ सहित दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 3 जुलाई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिसमें इसने सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है। दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त बयान में कहा गया है, 'हम 3 जुलाई 2020 को राष्ट्रव्यापी विरोध के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी संबद्ध संगठनों से मजदूर वर्ग और ट्रेड यूनियनों को बुलाते हैं।'

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उन्होंने कहा, राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के पालन के बाद, राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल सहित असहयोग और अवहेलना का एक ठोस रूप अगले चरण में उचित समय पर केंद्रीय व्यापार संघों और स्वतंत्र संघों और संघों के संयुक्त मंच की ओर से तय किया जाएगा।

इस हड़ताल में 10 ट्रेड यूनियन जिनमें इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), हिंद मजदूर सभा (HMS), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (CITU), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (SEWA), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC) शामिल हैं।

उन्होंने सरकार से मांग की कि वह 12-सूत्रीय चार्टर, श्रम और व्यापार संघ के अधिकारों, नौकरी के नुकसान, मजदूरी, नौकरी की सुरक्षा और प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित करे। बता दें कि देश में 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियन हैं।

उन्होंने कहा, बेरोजगारों की संख्या 14 करोड़ से अधिक है और यदि इसमें दैनिक वेतन/अनुबंध/आकस्मिक श्रमिकों को जोड़ दिया जाए, तो संख्या 24 करोड़ से अधिक हो जाती है, जिनके पास मौजूदा समय में आजीविका नहीं है।

ट्रेड यूनियन संगठन के मुताबिक, सरकार का तथाकथित 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज पीड़ित लोगों के साथ एक धोखा और क्रूर मजाक के अलावा कुछ नहीं है।


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