आज के स्टार्टअप्स हैं कल की मल्टीनेशनल कंपनियां, खेती से लेकर स्पेस क्षेत्र तक में बढ़ा इनका स्कोप: पीएम
आज के स्टार्टअप्स कल की मल्टीनेशनल कंपनीज हैं। खेती से लेकर स्पेस क्षेत्र तक में स्टार्टअप्स के लिए स्कोप बढ़ रहा है। अधिकतर स्टार्टअप्स देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों में आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को यह बात कही।
नई दिल्ली, एएनआई। आज के स्टार्टअप्स कल की मल्टीनेशनल कंपनीज हैं। खेती से लेकर स्पेस क्षेत्र तक में स्टार्टअप्स के लिए स्कोप बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को यह बात कही। वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उड़ीसा के आईआईएम-संबलपुर IIM-Sambalpur) के स्थायी परिसर की आधारशिला रखने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में पीएम ने कहा, 'आज के स्टार्टअप्स कल की मल्टीनेशनल कंपनियां हैं। अधिकतर स्टार्टअप्स देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों में आ रहे हैं। कृषि क्षेत्र से लेकर स्पेस क्षेत्र तक में स्टार्टअप्स के लिए स्कोप बढ़ रहा है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि आईआईएम संबलपुर का स्थाई कैंपस उड़ीसा की महान विरासत का प्रतिनिधित्व करेगा। उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी के बावजूद, साल 2020 में भारत में कई अधिक संख्या में युनिकॉर्न देखने को मिले। युवाओं का ब्रांड इंडिया के प्रति एक बड़ा उत्तरदायित्व है।'
Till 2014, there were 13 IIMs in India. Today, there are 20 IIMs. Such a large talent pool can help strengthen the 'Atmanirbhar Bharat' campaign: Prime Minister Narendra Modi https://t.co/p4HCjW90TW" rel="nofollow pic.twitter.com/1dhny2D2Mr— ANI (@ANI) January 2, 2021
पीएम ने कहा, 'साल 2014 तक भारत में 13 आईआईएम थे। आज देश में 20 आईआईएम हैं। इनसे बड़ी संख्या में निकलीं प्रतिभाएं आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं।'
पीएम मोदी ने कहा, बीते दशकों में एक ट्रेंड देश ने देखा, बाहर बने मल्टी नेशनल बड़ी संख्या में आए और इसी धरती में आगे भी बढ़े। ये दशक और ये सदी भारत में नए-नए मल्टीनेशसल्स के निर्माण की है।
पीएम ने कहा, 'वर्क फ्रॉम एनीव्हेयर के कॉन्सेप्ट से पूरी दुनिया ग्लोबल विलेज से ग्लोबल वर्कप्लेस में बदल गई है। भारत ने भी इसके लिए हर जरूरी रिफॉर्म्स बीते कुछ महीनों में तेजी से किए हैं।'
मोदी ने कहा, 'जब आपमें से अनेक साथी संबलपुरी टेक्सटाइल और कटक की फिलिगिरी कारीगरी को ग्लोबल पहचान दिलाने में अपने कौशल का इस्तेमाल करेंगे, यहां के टूरिज्म को बढ़ाने के लिए काम करेंगे। तो आत्मनिर्भर भारत अभियान के साथ ही उड़ीसा के विकास को भी नई गति मिलेगी।'