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सहकारी बैंकों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार कानून में संशोधन की दिशा में कर रही काम

RBI शीर्ष 50 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर निगरानी बनाए हुए है। जहां भी समस्या का पता चलता है केंद्रीय बैंक सीधे उस कंपनी के प्रबंधन से बात कर समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 08:44 AM (IST)
सहकारी बैंकों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार कानून में संशोधन की दिशा में कर रही काम
सहकारी बैंकों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार कानून में संशोधन की दिशा में कर रही काम

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश के सहकारी बैंकों में लगातार दिक्कत को देखते हुए सरकार इस क्षेत्र के बैंकों के लिए कानून में संशोधन की दिशा में काम कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक सरकार के साथ मिलकर मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज एक्ट के कुछ प्रावधानों में बदलाव पर विचार कर रहा है। देश के मौजूदा आर्थिक हालात की समीक्षा के लिए बुलाई गई वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि बैठक में एनबीएफसी सेक्टर के साथ-साथ साइबर सेक्योरिटी के मसले पर भी विचार विमर्श हुआ।

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बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। गवर्नर ने बताया कि एनबीएफसी के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई। आरबीआइ शीर्ष 50 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर निगरानी बनाए हुए है। जहां भी दिक्कत का पता चलता है रिजर्व बैंक सीधे उस कंपनी के प्रबंधन से बातकर समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है। गौरतलब है कि एनबीएफसी सेक्टर के लिए पूंजी पर्याप्तता अनुपात 15 परसेंट होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह 19.3 परसेंट पर पहुंच गया है। इसे लेकर सरकार में चिंता है।

दास ने बताया कि बैठक में पीएमसी बैंक को लेकर भी चर्चा हुई। आरबीआइ इस बैंक से जुड़े पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखे हुए है। बैंक का फोरेंसिक ऑडिट चल रहा है। इसके अलावा बैंक की परिसंपत्तियों की वैल्यूएशन भी की जा रही है। एक एजेंसी नियुक्त की गई है जो यह पता लगा रही है कि बैंक के पास जो संपत्तियां कर्जदाताओं ने गिरवी रखी हैं, उनकी बाजार कीमत क्या है। आगे की कार्रवाई इसी आधार पर होगी।

करीब दो घंटे चली बैठक के बाद वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि पूरे वित्तीय सिस्टम का आकलन किया गया। अर्थव्यवस्था के तमाम क्षेत्रों की समीक्षा हुई। गौरतलब है कि अगस्त में औद्योगिक उत्पादन में 1.1 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई थी। यह 26 महीने का न्यूनतम था। इसी तरह आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों में भी सितंबर में 5.2 परसेंट की गिरावट हुई।

बैठक में फाइनेंशियल रिजोल्यूशन एंड डिपोजिट इंश्योरेंस बिल पर भी चर्चा हुई। पिछले कार्यकाल में यह बिल पास नहीं हो सका था। बैठक में आर्थिक मामलों के सचिव अतानु चक्रवर्ती, इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अजय प्रकाश साहनी, रेवेन्यू सचिव अजय भूषण पांडेय भी उपस्थित थे। बैठक मेंअर्थव्यवस्था से जुड़े कई मसलों पर चर्चा हुई।


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