ऑटो, टेक्सटाइल व टेलीकॉम सेक्टर में आएंगी हजारों नई नौकरियां, पीएलआई स्कीम की घोषणा के बाद नई नौकरियों की उम्मीद जगी
केंद्र सरकार ने हाल ही में 10 नए सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम की घोषणा की है लेकिन इनमें से तीन सेक्टर टेक्सटाइल ऑटोमोबाइल्स और टेलीकॉम क्षेत्र में भारी संख्या में नई नौकरियों के निकलने की संभावना जताई जा रही है।
नई दिल्ली, राजीव कुमार। केंद्र सरकार ने हाल ही में 10 नए सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम की घोषणा की है, लेकिन इनमें से तीन सेक्टर, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल्स और टेलीकॉम क्षेत्र में भारी संख्या में नई नौकरियों के निकलने की संभावना जताई जा रही है। इस साल मार्च में सरकार ने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग व विशेष प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए 40,951 करोड़ रुपए के पीएलआई की घोषणा की थी जिस पर पर अमल शुरू हो गया है। आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय ने इस पीएलआई स्कीम के तहत होने वाले निवेश के कारण अगले पांच साल मे 2 लाख प्रत्यक्ष नौकरी निकलने का अनुमान लगाया है। इसे देखते हुए ऑटोमोबाइल्स, टेक्सटाइल व टेलीकॉम में भी हजारों नई नौकरियां निकलने की संभावना है।
ऑटोमोबाइल्स व ऑटो कंपोनेंट्स ऑटोमोबाइल्स व ऑटो कंपोनेंट्स के लिए घोषित पीएलआई स्कीम की तैयारी में जुटे भारी उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक ऑटोमोबाइल्स व कंपोनेंट्स में अगले पांच साल में 2 लाख से अधिक नई नौकरियां निकल सकती है। ऑटोमोबाइल्स व ऑटो कंपोनेंट्स के उत्पादन व निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार अगले पांच साल में 57,042 करोड़ रुपए का इंसेंटिव देगी। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल्स मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के प्रेसिडेंट और मारुति सुजुकी इंडिया के एमडी व सीईओ किंची आयुकावा के मुताबिक निश्चित रूप से सरकार के इस फैसले से भारतीय ऑटोमोबाइल्स सेक्टर को अगले स्तर पर ले जाने में मदद मिलेगी क्योंकि पीएलआइ स्कीम से उत्पादक की लागत कम हो जाएगी जिससे वे दुनिया के बाजार में मुकाबला करने में अधिक सक्षम होंगे। सरकारी अनुमान के मुताबिक वर्ष 2026 तक भारत का ऑटोमोबाइल्स उद्योग 330 अरब डॉलर का हो जाएगा। वर्ष 2019 में यह उद्योग 118 अरब डॉलर का था। भारी उद्योग मंत्रालय पीएलआइ स्कीम को अंतिम रूप देने में जुटा है।
टेक्सटाइल उद्योग
सरकार ने टेक्सटाइल उत्पाद में मैन मेड फाइबर्स (एमएमएफ) और टेक्नीकल टेक्सटाइल को पीएलआइ स्कीम से जोड़ने की घोषणा की है। इन्हें उत्पादन बढ़ाने पर पांच साल में 10,683 करोड़ रुपए के इंसेंटिव दिए जाएंगे। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक टेक्नीकल टेक्सटाइल का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है और वर्ष 2022 तक टेक्नीकल टेक्सटाइल का वैश्विक कारोबार 220 अरब डॉलर का हो जाएगा। अभी भारत की हिस्सेदारी इसमें मात्र 4-5 फीसद की है जिसे पांच साल में कम से कम 10 फीसद तक ले जाया जा सकता है। ऐसे में 10 अरब डॉलर का अतिरिक्त उत्पादन करना होगा जिससे सैकड़ों की संख्या में नई नौकरियां निकलेंगी। टेक्सटाइल मंत्रालय के मुताबिक विश्व स्तर पर मैन मेड फाइबर्स की मांग लगातार बढ़ रही है जबकि कॉटन फैबरिक की मांग धीरे-धीरे कम होने का अनुमान है। मंत्रालय के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति मैन मेड फाइबर्स की सालाना खपत मात्र 3.1 किलोग्राम है जबकि अमेरिका में यह खपत 22 किलोग्राम, आस्ट्रेलिया में 18 किलोग्राम तो चीन में 12 किलोग्राम है। ऐसे में मैन मेड फाइबर की भारत में उत्पादन बढ़ोतरी की भारी गुंजाइश है।
टेलीकॉम
पीएलआइ स्कीम के तहत टेलीकॉम व नेटवर्किग उत्पादों के उत्पादन प्रोत्साहन के लिए 12,195 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। पीएचडी चेंबर के टेलीकॉम कमेटी के चेयरमैन संदीप अग्रवाल ने बताया कि अभी अधिकतर टेलीकॉम उपकरणों का आयात होता है। पीएलआइ स्कीम की वजह से भारत में उपकरणों का उत्पादन सस्ता हो जाएगा और उनकी कीमत कम होने पर भारत में बने उत्पादों की मांग निकलेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार ऑप्टिकल फाइबर के साथ 4जी और 5जी उपकरणों को पीएलआइ स्कीम में शामिल करती है तो इससे ये उपकरण सस्ते होंगे और इनकी भारी संख्या में जरूरत होगी। अग्रवाल ने कहा कि निश्चित रूप से टेलीकॉम सेक्टर में बड़ी संख्या में नई नौकरियां निकलेंगी। टेलीकॉम विभाग द्वारा स्कीम की रूपरेखा को अंतिम रूप देने पर सटीक आंकड़ा दिया जा सकता है।