होम लोन, ऑटो लोन व पर्सनल लोन की मौजूदा दरों में करीब साल भर तक और गिरावट की संभावना कम
Home Loan Auto Loan Personal Loan कोविड-19 से त्रस्त देश की इकोनॉमी के मोर्चे पर शुभ संकेत मिलने लगे हैं। चालू साल के दो तिमाहियों में आर्थिक गिरावट के बाद अर्थव्यवस्था अब मौजूदा तिमाही से विकास की पटरी पर लौट आएगी।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कोविड-19 से त्रस्त देश की इकोनॉमी के मोर्चे पर शुभ संकेत मिलने लगे हैं। चालू साल के दो तिमाहियों में आर्थिक गिरावट के बाद अर्थव्यवस्था अब मौजूदा तिमाही से विकास की पटरी पर लौट आएगी। लेकिन महंगाई के मोर्चे पर स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। सिर्फ चालू वित्त वर्ष में ही नहीं बल्कि अगले वित्त वर्ष के पहले छह महीनों (सितंबर, 2021) तक खुदरा महंगाई की दर आरबीआइ के लक्ष्य यानी 4 फीसद से ज्यादा रहने के आसार हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो होम लोन, ऑटो लोन जैसे दूसरे पर्सनल लोन की जो दरें अभी बाजार में उपलब्ध हैं उनमें तकरीबन साल भर तक और गिरावट की संभावना कम है। शुक्रवार को आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास की तरफ से पेश मौद्रिक नीति समीक्षा का लब्बो लुआब यही है।
महंगाई ने चिंता बढाई, ब्याज दर कटौती पर ब्रेक
मौद्रिक तय करने के लिए गठित समिति मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 2 नवंबर, 2020 से जारी तीन दिवसीय बैठक के बाद समीक्षा करते हुए गवर्नर डॉ. दास ने कहा कि इकोनॉमी का सबसे खराब दौर बीत चुका है। लेकिन महंगाई चिंता का कारण है। सितंबर में खुदरा महंगाई की दर 7.3 फीसद व अक्टूबर मे 7.6 फीसद रही है। आगे स्थिति सुधरेगी। आरबीआइ गवर्नर ने मौजूदा तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दल 6.8 फीसद और अंतिम तिमाही में 5.8 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। इसके बाद के दोनो तिमाहियों (अप्रैल-जून, 2021, जुलाई-सितंबर, 2021) के लिए महंगाई दर का लक्ष्य उन्होंने 5.2 फीसद व 4.6 फीसद रखा है। यह आरबीआइ की तरफ से पूरे वर्ष के लिए तय 4 फीसद के लक्ष्य से ज्यादा है। अगले वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में भी महंगाई की दर के 4 फीसद से नीचे रहने के आसार नहीं है। इसका सीधा सा मतलब यह भी है कि बैंकिंग कर्ज के सस्ता होने की प्रक्रिया पर कम से कम अक्टूबर, 2021 तक ब्रेक लग गया है।
शुक्रवार को आरबीआइ ने रेपो रेट (होम लोन, ऑटो लोन जैसे सावधि कर्ज की दरों को प्रभावित करने वाली दर) को 4 फीसद पर स्थिर रखा गया है। यह लगातार तीसरी मौद्गिक नीति समीक्षा है जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वैसे जनवरी, 2019 के बाद से आरबीआइ गवर्नर दास रेपो रेट में 250 आधार अंकों (2.50 फीसद) की कटौती कर चुके हैं। इसकी वजह से अभी होम लोन और ऑटो लोन पिछले एक दशक के सबसे कम दर पर उपलब्ध है। जानकारों का कहना है कि अभी देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना भी जरूरी है इसलिए आरबीआइ ब्याज दरों को फिलहाल बढ़ाने से परहेज करेगा।
बीत गया इकोनॉमी का बुरा दौर
अर्थव्यवस्था का सबसे खराब दौर बीत चुका है। दूसरी तिमाही और मौजूदा तिमाही में अभी तक आíथक गतिविधियों से इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि रिकवरी की रफ्तार उम्मीद से बेहतर है। हर क्षेत्र में मांग में सुधार हो रही है। अर्थव्यवस्था के जिन क्षेत्रों में अभी तक सुस्ती थी वह भी तेजी से स्थिति बेहतर कर रहे हैं। शहरों में मांग पटरी पर है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग और बेहतर होगी। चालू वित्त वर्ष (2020-21) की पहली दो तिमाहियों में आíथक विकास दर में हुई गिरावट (क्रमश: 23.9 फीसद और 7.5 फीसद) हुई है वह अब नहीं दोहराया जाएगा। अंतिम दोनो तिमाहियों में आíथक विकास की दर सकारात्मक रहेगी। अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में विकास दर 0.1 फीसद और जनवरी-मार्च की अंतिम तिमाही में 0.7 फीसद रहेगी। इसके बाद की दोनो तिमाहियों के लिए विकास दर का अनुमान क्रमश: 21.9 फीसद और 6.5 फीसद रखा गया है।