गन्ने की FRP 275 रुपये प्रति क्विंटल घोषित, रिकवरी दर 10 फीसदी
चीनी के अधिक उत्पादन के अनुमान को देखते हुए सरकार ने गन्ना मूल्य को पिछले साल के 275 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर ही कायम रखा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आगामी पेराई सीजन के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की घोषणा कर दी है। चीनी के अधिक उत्पादन के अनुमान को देखते हुए सरकार ने गन्ना मूल्य को पिछले साल के 275 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर ही कायम रखा है। चीनी मूल्य को स्थिर रखने और किसानों के गन्ने का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने इस साल भी बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है। इस बार यह 40 लाख टन का होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति में यह फैसला लिया गया है। यह फैसला कृषि मूल्य व लागत आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के अनुरूप है। कैबिनेट के फैसले की यह जानकारी केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दी। गन्ने का यह मूल्य 2019-20 के अक्टूबर माह में शुरू होने वाली पेराई सीजन पर लागू होगा। सीएसीपी की सिफारिशों में एफआरपी की यह दर 10 फीसद की रिकवरी दर पर तय किया गया है। इसके अलावा प्रति अंक 2.75 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। जबकि बीते पेराई सीजन में 9.5 फीसद की रिकवरी दर को आधार बनाया गया था, जिसके उपर प्रति अंक 2.68 रुपये का अतिरिक्त भुगतान का प्रावधान किया गया था।
जावड़ेकर ने कहा कि एफआरपी की घोषणा में किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। इससे उनकी उपज के मूल्य के भुगतान की पूरी गारंटी होगी। एफआरपी का निर्धारण चीनी (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत मूल्य तय किया जाता है। इसके तहत मिलें गन्ने का भुगतान करने को बाध्य होंगी। सरकार के एफआरपी की घोषणा का इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने स्वागत करते हुए कहा कि यही होना चाहिए था। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि बीते वर्षो में एफआरपी में तेज और भारी बढ़ोतरी की गई थी। यही वजह है कि गन्ना अन्य फसलों के मुकाबले अधिक लाभ देने वाली फसल बना गया। चीनी उत्पादन में गन्ना मूल्य की भागीदारी 70 से 75 फीसद होती है। वर्मा ने बताया कि इससे किसानों का बकाया चुकाने और ताजा मूल्य का भुगतान करने में मदद मिलेगी। देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा इसके ऊपर अपना मूल्य तय करते हैं, जिसे राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) कहा जाता है।
चीनी के बंपर उत्पादन के अनुमान को देखते हुए सरकार ने मिलों को राहत देने के लिए 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी है। इससे चीनी मिलों के लिए किसानों को गन्ने के मद में 15 हजार करोड़ रुपये का भुगतान आसान हो जाएगा। यह प्रावधान चालू वर्ष 2019-20 के लिए किया गया है।
बीते चीनी वर्ष में अगस्त 2018 में केंद्र सरकार ने चीनी का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था, जिस पर 1175 करोड़ रुपये का खर्च आया था। सरकार के इस कदम से चीनी मिलों को नगदी संकट का मुकाबला करने में मदद मिलती है। गन्ना किसानों का भुगतान करने और घरेलू जिंस बाजार में चीनी मूल्य को स्थिर करने में सहूलियत होती है। देश का चीनी उत्पादन चालू वर्ष (अक्टूबर, 2018 - सितंबर, 2019) के दौरान कुल उत्पादन 3.29 करोड़ टन रहने का अनुमान है। जबकि चीनी की घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन रहने की संभावना है। इस्मा के अनुसार, इस वर्ष अक्टूबर में नया चीनी सत्र शुरू होने के समय पुरानी चीनी का स्टॉक रिकार्ड 1.45 करोड़ टन पर रहेगा। जबकि उस समय केवल 50 लाख टन चीनी की जरूरत होती है।