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एफडीआइ के बाद हवाई परमिट की शर्ते सरल होंगी

सौ फीसद एफडीआइ के बाद एयर ऑपरेटर परमिट की नीति बदलेगी। अभी परमिट के लिए एयरलाइन में भारतीयों की बहुमत हिस्सेदारी जरूरी है।

By Anand RajEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 01:12 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 06:50 AM (IST)
एफडीआइ के बाद हवाई परमिट की शर्ते सरल होंगी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विमानन क्षेत्र में सौ फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दिए जाने के साथ ही सरकार नई एयरलाइनों को एयर ऑपरेटर्स परमिट (एओपी) देने की नीति में भी बदलाव कर सकती है।

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मौजूदा नीति के अनुसार किसी एयरलाइन को तभी एयर ऑपरेटर परमिट (एओपी) जारी किया जाता है जब इसके चेयरमैन व दो तिहाई निदेशक भारतीय हों तथा बहुमत हिस्सेदारी के साथ इस पर भारतीयों का प्रभावी नियंत्रण हो। लेकिन अब इसमें संशोधन कर इसे नई एफडीआइ नीति के अनुरूप बनाया जाएगा।

इस बात के संकेत विमानन सचिव राजीव नयन चौबे ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान दिए।चौबे के मुताबिक अभी बहुमत हिस्सेदारी की शर्त दो मामलों में लागू होती है। एक, भारतीय नागरिकों के एओपी हासिल करने के लिए, दूसरे उन देशों को उड़ान की अनुमति प्राप्त करने के लिए जहां भारत को द्विपक्षीय अधिकार (बायलैटरल राइट्स) देने की जरूरत पड़ती है। द्विपक्षीय अधिकारों के लिए बहुमत हिस्सेदारी की शर्त सभी देशों में समान रूप से लागू है।

यह इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (आइसीएओ) के नियमों के तहत बाध्यकारी है। इसका मतलब यह हुआ कि यदि किसी एयरलाइन के पास 49 फीसद से ज्यादा विदेशी हिस्सेदारी है तो यह स्थिति उसके विदेशों में उड़ान भरने की राह में बाधक बन सकती है। हालांकि देश के भीतर उड़ाने भरने में कोई समस्या नहीं है।

सौ फीसद एफडीआइ वाली कोई एयरलाइन आखिर क्यों केवल भारत में उड़ाने करना चाहेगी?, इस सवाल पर चौबे ने कहा, 'भारत अपने आपमें ही विशाल बाजार है। लिहाजा इस तरह की एयरलाइनें भारतीय बाजार का भरपूर लाभ उठा सकती हैं। नई विमानन नीति में कोड शेयर नियमों को भी उदार बनाया गया है। ताकि सौ फीसद एफडीआइ वाली कोई एयरलाइन भारत में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कोड आसानी से शेयर कर सके। वास्तव में सौ फीसद एफडीआइ की अनुमति देश के भीतर एयर ऑपरेशन बढ़ाने तथा निवेश में बढ़ोतरी करने के लिए ही दी गई है।

सौ फीसद एफडीआइ वाली एयरलाइनों को भविष्य में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अनुमति के सवाल पर चौबे का कहना था कि इन संभावनाओं की जांच की जा रही है। हालांकि फिलहाल आइसीएओ के नियम सभी देशों के लिए बाध्यकारी प्रतीत होते हैं।

सरकार ने हाल ही में एयरलाइनों को छोड़ दूसरे क्षेत्रों की विदेशी कंपनियों को भारतीय एयरलाइनों में 100 फीसद तक एफडीआइ की अनुमति दे दी है। इसमें 49 फीसद एफडीआइ बिना सरकार की मंजूरी के संभव होगा। जबकि इससे अधिक निवेश के लिए मंजूरी की आवश्यकता होगी। जहां तक विदेशी एयरलाइनों का प्रश्न है तो उन्हें अभी भी भारतीय एयरलाइनों में केवल 49 फीसद तक एफडीआइ की ही इजाजत है।

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