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लागत से कम रेट देने पर टेलीकॉम कंपनियों को देना पड़ेगा जुर्माना: TRAI

टेलीकॉम ऑपरेटर को अपनी दरें तय करते वक्त पारदर्शिता के अलावा भेदभाव रहित तथा गलत तरीके से बाजार हड़पने की मंशा से दूर रहने के सिद्धांतों का पालन करना होगा

By Surbhi JainEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 01:24 PM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 04:00 PM (IST)
लागत से कम रेट देने पर टेलीकॉम कंपनियों को देना पड़ेगा जुर्माना: TRAI
लागत से कम रेट देने पर टेलीकॉम कंपनियों को देना पड़ेगा जुर्माना: TRAI

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। ग्राहकों को लुभाने और प्रतिस्पर्धी कंपनियों को बाजार से बाहर करने की नीयत से लागत से कम रेट तय करने वाले टेलीकॉम आपरेटरों पर प्रति सर्किल 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ओर से शुक्रवार को जारी नवीनतम टेलीकॉम (63वां संशोधन) टैरिफ ऑर्डर, 2018 में इसका प्रावधान किया गया है।

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आर्डर के अनुसार किसी टेलीकॉम ऑपरेटर को अपनी दरें तय करते वक्त पारदर्शिता के अलावा भेदभाव रहित तथा गलत तरीके से बाजार हड़पने की मंशा से दूर रहने के सिद्धांतों का पालन करना होगा। ऐसा न करने पर वाले ऑपरेटरों पर अपराध की श्रेणियों के अनुसार आर्थिक दंड लगाया जाएगा।

यदि कोई टेलीकॉम ऑपरेटर प्रीडेटरी यानी दूसरी कंपनियों को बाजार से हटाने की मंशा से लागत से कम रेट ऑफर करते हैं तो उस पर प्रति टैरिफ प्लान व प्रति सर्विस एरिया यानी सर्किल के हिसाब से 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही उक्त दर या दरों पर रोक भी लगाई जा सकती है। यही नहीं, यदि कोई ऑपरेटर किसी नई दर या मौजूदा रेट में बदलाव की सूचना ट्राई को सात दिन के भीतर देने में विफल रहता है तो उस पर रोजाना पांच हजार रुपये के हिसाब (अधिकतम दो लाख रुपये) से जुर्माना लगाया जाएगा।

देश में कुल 22 टेलीकॉम सर्किल या सर्विस एरिया हैं। भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्युलर तथा रिलायंस जियो की सेवाएं सभी सर्किलों में मौजूद हैं। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल 20 सर्किलों और एमटीएनएल दो सर्किलों में सेवाएं संचालित करती हैं। ट्राई के ये नियम उन आरोपों के बाद जारी हुए है जिनमें भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर ने रिलायंस जियो पर उनका बाजार हड़पने की नीयत से प्रीडेटरी प्राइसिंग यानी ग्राहकों को लागत से भी नीची दरें ऑफर करने की बात कही गई थी।

ट्राई के अनुसार किसी भी ऐसी दर को प्रीडेटरी माना जाएगा जिसमें कोई टेलीकॉम ऑपरेटर जिसका 30 फीसद से ज्यादा बाजार पर कब्जा हो, ऐसी दर पर सेवाएं ऑफर करे जो उस सेवा की औसत परिवर्तनीय लागत से भी कम हो और जिसका मकसद प्रतिस्पर्धा में कमी लाना अथवा प्रतिस्पर्धी कंपनी को बाजार से बाहर करना हो। पिछले साल अप्रैल में रिलायंस जियो ने भी भारती एयरटेल के खिलाफ ट्राई से शिकायत की थी कि एयरटेल ने भ्रामक ऑफर व मनमाने टैरिफ पेश कर टैरिफ नियमों का उल्लंघन किया है।


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