सन-रैनबैक्सी सौदे को अंतिम मंजूरी
सन फार्मा व रैनबैक्सी के चार अरब डॉलर के विलय संबंधी सौदे को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने अंतिम मंजूरी दे दी है। कंपनियों को एमक्योर फार्मा को सात ब्रांडों की बिक्री के लिए आयोग से हरी झंडी मिल गई है।
नई दिल्ली। सन फार्मा व रैनबैक्सी के चार अरब डॉलर के विलय संबंधी सौदे को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने अंतिम मंजूरी दे दी है। कंपनियों को एमक्योर फार्मा को सात ब्रांडों की बिक्री के लिए आयोग से हरी झंडी मिल गई है।
विलय सौदे के लिए यह शर्त रखी गई थी। दिसंबर में सीसीआइ ने दोनों कंपनियों को अपने ब्रांडों को बेचने के निर्देश दिए थे। विलय के बाद बनने वाली कंपनी से एकाधिकार के खतरे की आशंका को देखते हुए ऐसा करने को कहा गया था। सौदे में सबसे ब़़डा अ़़डंगा इन सात ब्रांडों की बिक्री को लेकर ही था। आयोग का मानना था कि पहली नजर में यह प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन दिखता है।
लिहाजा उसने ब्रांडों की बिक्री की शर्त के साथ सौदे को मंजूरी दी थी। इन ब्रांडों की बिक्री के बावजूद विलय के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे ब़़डी दवा कंपनी अस्तित्व में आएगी। उसके 65 देशों में परिचालन और पांच महाद्वीपों में 47 मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र होंगे। सीसीआइ को आशंका थी कि इसका प्रतिस्पर्धा पर विपरीत असर प़़ड सकता है।
यही वजह है कि उसने सौदे की सार्वजनिक जांच कराने का फैसला किया था। सीसीआइ ने ब्रांडों की बिक्री की प्रक्रिया पर निगरानी के लिए पीडब्ल्यूसी को भी नियुक्त किया था। अप्रैल, 2014 में सन फार्मा ने प्रतिद्वंद्वी फर्म रैनबैक्सी का चार अरब डॉलर में अधिग्रहण करने की घोषणा की थी। इसमें रैनबैक्सी पर बकाया 80 करो़़ड डॉलर का कर्ज भी शामिल है।