डॉलर के मुकाबले रुपये को 70 से नीचे लाने के लिए उठाए जाएंगे और कदम: सुभाष चंद्र
रुपये में हाल में आई 12 फीसद के लगभग की गिरावट अस्थायी है। गिरते रुपये के कारण चालू खाता घाटा भी चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। डॉलर की तुलना में लगातार गिरते रुपये को थामने के लिए सरकार जल्द ही नए कदम उठा सकती है। इनमें गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर नियंत्रण जैसे कदम शामिल हैं। सरकार रुपये को 68 से 70 प्रति डॉलर के स्तर पर लाने का प्रयास कर रही है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने यह बात कही।
उनका कहना है कि रुपये में हाल में आई 12 फीसद के लगभग की गिरावट अस्थायी है। सरकार ने इस महीने की शुरुआत में विदेश से कर्ज उठाने के नियमों ढील देने, कॉरपोरेट बांड में एफपीआइ के निवेश पर लगे प्रतिबंध हटाने और मसाला बांड पर टैक्स बेनिफिट जैसे कदमों से रुपये को थामने का प्रयास किया था।
गिरते रुपये के कारण चालू खाता घाटा भी चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। पहले दौर के प्रयासों के बाद भी रुपये में गिरावट जारी रहने के सवाल पर वित्तीय मामलों के सचिव ने कहा, 'अभी सभी कदम उठाए नहीं गए हैं।
गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर नियंत्रण और निर्यात को बढ़ावा देने जैसे कदम अभी उठाए जाने हैं।' गर्ग ने बताया कि केंद्र सरकार ने कुछ ऐसी गैर-जरूरी वस्तुओं की सूची तैयार की है, जिनका आयात नियंत्रित किया जा सकता है।
साथ ही ऐसी वस्तुओं की सूची भी बनाई गई है, जिनमें हल्के नीतिगत हस्तक्षेप से निर्यात बढ़ाया जा सकता है। शुक्रवार को डॉलर की तुलना में 17 पैसे टूटकर रुपया 72.21 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। गर्ग ने कहा कि सरकार रुपये में गिरावट और इससे चालू खाता घाटे पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर सतर्क है।
रुपये के लिए 68 से 70 प्रति डॉलर का स्तर ठीक है। 72 रुपये प्रति डॉलर तक का स्तर भी बहुत चिंताजनक नहीं है। हालांकि सरकार मानती है कि इसका अचानक 69 से 72 प्रति डॉलर पर पहुंचना सही नहीं है।
छह महीने में 10 से 12 फीसद तक टूट जाना या दो महीने में छह से नौ फीसद तक की गिरावट को सही नहीं ठहराया जा सकता।
इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर को बैठक की थी और वित्त मंत्री ने इसे थामने के लिए कई फैसले लिए। इन उपायों को अभी लागू किया जा रहा है। गर्ग ने भरोसा जताया कि इस दिशा में उठाए जा रहे कदमों से रुपया जल्द ही अपने सामान्य स्तर पर लौट आएगा।