स्पेक्ट्रम किसी निजी कंपनी की नहीं बल्कि सरकार की संपत्ति, करार का विवरण दें जियो व आरकॉम: कोर्ट
एजीआर मामले में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमने सभी पक्षों को स्पेक्ट्रम उपयोग के लिए आपस में किए गए करारों को अदालत के समक्ष रखने को कहा है। PC Pixabay
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुकेश अंबानी नियंत्रित रिलायंस जियो और अनिल अंबानी नियंत्रित आरकॉम के बीच स्पेक्ट्रम शेयरिंग करार का विवरण मांगा है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि एक कंपनी के स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रही दूसरी कंपनी से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का बकाया क्यों नहीं मांगा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि स्पेक्ट्रम किसी निजी कंपनी की नहीं बल्कि सरकार की संपत्ति है। लिहाजा जो भी उसका उपयोग कर रहा हो, बकाये का भुगतान करना उसकी जिम्मेदारी है
एजीआर मामले में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमने सभी पक्षों को स्पेक्ट्रम उपयोग के लिए आपस में किए गए करारों को अदालत के समक्ष रखने को कहा है। जहां तक रिलायंस जियो का सवाल है, तो वह वर्ष 2018 से ऑरकॉम के 800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रही है। दोनों पक्षों को आपसी करार की शर्ते अदालत के समक्ष पेश करने को कहा गया है।
कोर्ट ने एयरसेल लिमिटेड, एयरसेल सेल्यूलर लिमिटेड और डिशनेट वायरलेस लिमिटेड समेत दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही अन्य टेलीकॉम कंपनियों से भी पूछा है कि उनके स्पेक्ट्रम का उपयोग कौन कर रहा है इसकी जानकारी दें। कोर्ट ने दूरसंचार विभाग (डीओटी) को भी स्पष्ट करने को कहा है कि स्पेक्ट्रम किनके-किनके नाम पर है और उसके एवज में किस-किसने अब तक कितना शुल्क जमा किया है।