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Soil Health Card: देश के ज्यादातर हिस्सों की मिट्टी में है पोषक तत्वों की भारी कमी

Soil Health Card देश के 14.5 करोड़ किसानों में से 10 करोड़ किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कर उन्हें स्वायल हेल्थ कार्ड सौंप दिये गये हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 07:23 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 08:28 AM (IST)
Soil Health Card: देश के ज्यादातर हिस्सों की मिट्टी में है पोषक तत्वों की भारी कमी
Soil Health Card: देश के ज्यादातर हिस्सों की मिट्टी में है पोषक तत्वों की भारी कमी

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। फर्टिलाइजर के असंतुलित प्रयोग से देश के ज्यादातर हिस्सों की मिट्टी में पोषक तत्वों की भारी कमी हो गई है। इसके चलते एक ओर जहां फसलों की उत्पादकता घट रही है, वहीं कृषि उपज की पौष्टिकता पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर कराये गये मृदा परीक्षण की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया गया है। देश के लगभग सभी हिस्सों की मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से कृषि उपज की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

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स्वायल हेल्थ कार्ड प्रोजेक्ट की रिपोर्ट से खेती में कई तरह की सहूलियत होने की संभावना है। इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्र ने बताया कि वैसे तो देश में औसतन 133 से 134 किलोग्राम यूरिया सालाना प्रति हेक्टेयर प्रयोग की जा रही है। जबकि कुछ प्रदेशों और कुछ जिलों में यूरिया का प्रयोग 300 से 400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सालाना हो रहा है। 'जागरण' से बातचीत में डॉक्टर महापात्र ने बताया स्वायल हेल्थ कार्ड प्रोजेक्ट से कई तरह की जानकारी बाहर आयी हैं।

मिट्टी में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की जबर्दस्त कमी पाई गई है, जिनमें जिंक, बोरान व गंधक प्रमुख है। डॉक्टर महापात्र ने बताया 'देश के 95 फीसद जमीन में नाइट्रोजन की कमी है। 90 फीसद जमीन में फास्फोरस और 55 फीसद जमीन में पोटाश की कमी है।' सतत (ससटेनेबल) कृषि के लिए माइक्रो न्यूट्रिएंट्स समेत अन्य सभी पोषक तत्वों का होना जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2015 में परंपरागत और जैविक खेती पर जोर देने की बात कही थी। मिट्टी में कार्बन की कमी को पूरा करने के लिए जैविक खाद की तत्काल जरूरत है। जमीन की पूर्ण उर्वरता को बनाए रखना जरूरी है।

डॉक्टर महापात्र ने कहा 'आइसीएआर का अपना अनुसंधान है, जिसमें जैविक खाद के साथ फर्टिलाइजर का प्रयोग बहुत अधिक लाभप्रद होगा।' इन दोनों के बीच संतुलन बनाने से फसलों की उत्पादकता में 50 फीसद तक की वृद्धि हो सकती है। देश में फर्टिलाइजर के संतुलन के बारे में पूछे एक सवाल के जवाब में डॉक्टर महापात्र ने बताया 'देश की मिट्टी में फिलहाल नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की 4-2-1 के अनुपात में प्रयोग की जरूरत है। जबकि देश में इस समय 7-3-1 के अनुपात में इन खादों का प्रयोग हो रहा है। इसका असर उपज की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसे लेकर किसानों में जागरुक करने की सख्त जरूरत है।

पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में जरूरत से ज्यादा और अवैज्ञानिक तरीके से खाद और कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है। देश के 14.5 करोड़ किसानों में से 10 करोड़ किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कर उन्हें स्वायल हेल्थ कार्ड सौंप दिये गये हैं। स्वायल हेल्थ कार्ड पर दर्ज सूचनाओं के अनुरूप फर्टिलाइजर का प्रयोग करने की जरूरत है। इस बारे में फर्टिलाइजर सचिव छबिलेंद्र राउल ने बताया 'वर्ष 2018-19 में खेती में कुल 320 लाख टन यूरिया खाद की खपत हुई। जबकि गैर यूरिया खादों का प्रयोग 200 लाख टन रहा। स्वायल हेल्थ कार्ड परियोजना और नीम कोटेड यूरिया आने से यूरिया की खपत में कमी आई है।' राउल ने बताया कि आने वाले दिनों में जल्दी ही फर्टिलाइजर का वितरण किसानों के स्वायल हेल्थ कार्ड के आधार पर दिया जाएगा। इससे फर्टिलाइजर का प्रयोग वैज्ञानिकों के सलाह के अनुसार होगा।


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