छोटे करदाताओं को जल्दी मिले आयकर रिफंड, बड़ों को प्रतीक्षा
इस साल छोटे करदाताओं को न सिर्फ अधिक रिफंड जारी हुए हैं बल्कि रिफंड की राशि भी अधिक जारी हुई है।
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। आयकर विभाग ने छोटे करदाताओं के रिफंड जारी करने में तत्परता दिखायी है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष में आयकर विभाग ने व्यक्तिगत करदाताओं के 2.06 करोड़ रिफंड जारी किए हैं, जिसमें से 93 प्रतिशत रिफंड 50 हजार रुपये से कम राशि के हैं। खास बात यह है कि लगभग आधे रिफंड पांच हजार रुपये से भी कम राशि के हैं। हालांकि बहुत से बड़े करदाता ऐसे हैं, जिन्हें अब भी रिफंड का इंतजार है।
आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि कम राशि के रिफंड को उच्च प्राथमिकता के आधार पर जारी किया गया है ताकि छोटे करदाताओं को कोई असुविधा न हो। यही वजह है कि छोटी राशि के रिफंड को तत्परता के साथ जारी किया गया है। वित्त वर्ष 2017-18 में 15 मार्च तक 50,000 रुपये से कम राशि के 1.86 करोड़ रिफंड जारी किए गए, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1.56 करोड़ था। इस तरह इसमें 19.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इस साल छोटे करदाताओं को न सिर्फ अधिक रिफंड जारी हुए हैं बल्कि रिफंड की राशि भी अधिक जारी हुई है। मसलन, चालू वित्त वर्ष में 50,000 रुपये से कम राशि के रिफंड के रूप में करदाताओं को कुल 16,874 करोड़ रुपये दिए गए जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 14,606 करोड़ रुपये था। इसी तरह चालू वित्त वर्ष में पांच हजार रुपये से कम राशि के 93.70 लाख रिफंड अब तक जारी किए जा चुके हैं जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 76.71 लाख था। इस तरह इसमें 22 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इस अवधि में पांच हजार रुपये से कम राशि के रूप में जारी हुई रिफंड की राशि भी 1,484 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,761 करोड़ रुपये हो गयी है।
हालांकि बहुत से बड़े करदाता हैं जिन्हें अब भी रिफंड का इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे करदाताओं की संख्या कितनी है, इसका कोई आंकड़ा सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं हैं। विभाग ने भी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं उपलब्ध करायी है।
इसके अलावा अगर किसी करदाता ने सभी स्रोतों से अपनी आय का ब्यौरा नहीं दिया है तो उस स्थिति में भी विभाग की ओर से उसे ई-मेल भेजा जा सकता है, जिसकी वजह से रिफंड जारी होने में विलंब हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में ई-फाइलिंग से दाखिल हुए रिटर्न पर 1.98 करोड़ रिफंड तो जारी हुए हैं लेकिन रिफंड की राशि पिछले साल के मुकाबले कम है।