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छोटे व मझोले उद्योगों ने मांगा राहत पैकेज, मोरेटोरियम की अवधि तीन वर्ष तक बढ़ाने की सिफारिश

एफआइडीसी की एक बड़ी मांग मोरेटोरियम की अवधि को बढ़ाना है। आरबीआइ ने दिसंबर 2020 में रिजॉल्यूशन पैकेज का एलान किया था जिसमें कुछ एमएसएमई व पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहकों को सशर्त दो वर्षो तक कर्ज अदायगी में राहत दिया था।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 05:11 PM (IST)
छोटे व मझोले उद्योगों ने मांगा राहत पैकेज, मोरेटोरियम की अवधि तीन वर्ष तक बढ़ाने की सिफारिश
Small and Medium Industries P C : Pixabay

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए देश के बड़े हिस्से में जिस तरह से लॉकडाउन लगाया गया है, उद्योग जगत को उसके बड़े असर की आशंका है। पिछले वर्ष देशव्यापी लॉकडाउन से छोटे व मझोले उद्योग व आम जनता को बहुत दिक्कत हुई थी। इस वर्ष भी वैसे ही हालात बनते देख देश की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) भी काफी चिंतित हैं।

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उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) गवर्नर से पत्र लिखकर सभी तरह के सूक्ष्म, छोटे व मझोले औद्योगिक इकाइयों व व्यक्तिगत कर्जधारकों के लिए एक बड़ी राहत पैकेज की मांग की है। एनबीएफसी के संगठन एफआइडीसी ने आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास को लिखे पत्र में कहा है कि छोटे व्यक्तिगत और कारोबारी लोन ग्राहकों का खाता अगर एनपीए में डाल भी दिया गया है तो भी उन्हें दोबारा कर्ज देने का रास्ता साफ किया जाए।

एफआइडीसी की एक बड़ी मांग मोरेटोरियम की अवधि को बढ़ाना है। आरबीआइ ने दिसंबर, 2020 में रिजॉल्यूशन पैकेज का एलान किया था जिसमें कुछ एमएसएमई व पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहकों को सशर्त दो वर्षो तक कर्ज अदायगी में राहत दिया था।

एफआइडीसी की नई मांग यह है कि जिन कर्जदारों के कर्ज की परिपक्वता अवधि 10 वर्ष से ज्यादा की है, उन्हें कुल पांच वर्ष अतिरिक्त समय इसकी अदायगी के लिए दी जाए। यानी रिजॉल्यूशन पैकेज के तहत मिले दो वर्ष के अलावा भी तीन वर्ष की राहत दी जाए। इसी तरह से पांच से 10 वर्ष तक की अविध वाले कर्ज के लिए कुल चार वर्षो की मोरेटोरियम अवधि मांगी गई है।

पांच वर्ष तक की कर्ज अवधि वाले खातों के लिए पहले मिली दो वर्षों की छूट की अवधि बढ़ाकर तीन वर्ष करने की मांग रखी गई है। एफआइडीसी के महानिदेशक महेश ठक्कर की तरफ से लिखे गए इस पत्र में एनबीएफसी के लिए ग्राहकों से संपर्क साधने और उनके आवेदन मंजूर करने की मौजूदा प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने की मांग भी रखी गई है।

हर तरह के प्रपत्रों को डिजिटल माध्यम से देने और उसे पूरी तरह से वैध बनाने की मांग भी की गई है। कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के बाद पहली बार एफआइडीसी की तरफ से एमएसएमई सेक्टर के लिए बकाये कर्ज को पुनर्गठित करने की मांग सामने आई है।


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