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अस्थायी है भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती, सुधारात्मक कदमों का दिखेगा असर: मुकेश अंबानी

पिछली पांच तिमाहियों के दौरान भारतीय इकोनॉमी की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी है। इस वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान ग्रोथ रेट घटकर पांच परसेंट रह गई थी।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 03:31 PM (IST)
अस्थायी है भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती, सुधारात्मक कदमों का दिखेगा असर: मुकेश अंबानी
अस्थायी है भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती, सुधारात्मक कदमों का दिखेगा असर: मुकेश अंबानी

नई दिल्ली, पीटीआइ। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा है कि भारतीय इकोनॉमी की सुस्ती अस्थायी है। सरकार द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदम इसे वापस ट्रैक पर लाने में मददगार साबित होंगे। सऊदी अरब के वार्षिक निवेश फोरम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों का परिणाम अगली कुछ तिमाहियों में नजर आने लगेगा। पेट्रोकेमिकल बिजनेस में हिस्सेदारी के लिए सऊदी अरब की कंपनी अरैमको और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच इन दिनों बातचीत चल रही है।

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मुकेश अंबानी ने सम्मेलन में कहा, 'मैं मानता हूं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी सुस्ती रही है, लेकिन मेरा मत है कि यह सुस्ती अस्थायी है। बीते महीनों में इससे निपटने के लिए जो उपाय किये गए हैं, उनका परिणाम सामने आएगा और मुझे पुरी उम्मीद है कि आने वाले समय में स्थितियां बदलेगीं।'

अंबानी का कहना था कि भारत और सऊदी अरब दोनों देशों के पास इस वक्त ऐसा नेतृत्व है जिसका दुनिया में कोई जोड़ नहीं है। दोनों देशों के पास टेक्नोलॉजी और युवा वर्ग भी है, जिनके बूते आर्थिक विकास को गति दी जा सकती है। गौरतलब है कि पिछली पांच तिमाहियों के दौरान भारतीय इकोनॉमी की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी है। इस वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान ग्रोथ रेट घटकर पांच परसेंट रह गई थी, जो 2013 के बाद सबसे कमजोर विकास दर थी। पिछले कुछ महीनों में भारत सरकार ने इकोनॉमी को गति देने के लिए कई कदम उठाए हैं।

बीते महिनों में केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई उपाय किये हैं। इसमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में नकदी की स्थिति को पटरी पर लाने के लिए उपाय, पब्लिक सेक्टर के बैंकों में पैसा डालने, कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती करने और बैकों को अच्छी गुणवत्ता वाली एनबीएफसी संपत्तियां खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने जैसे कई सुधार शामिल हैं।


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