GST रिफंड में अगस्त से नहीं लगेगा ज्यादा वक्त, सरकार कर रही है ये व्यवस्था
वस्तु एवं सेवा कर (GST) रिफंड की मंजूरी और प्रोसेसिंग के लिए एकल प्राधिकरण की व्यवस्था जल्द लागू करने पर सरकार काम कर रही है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वस्तु एवं सेवा कर (GST) रिफंड की मंजूरी और प्रोसेसिंग के लिए एकल प्राधिकरण की व्यवस्था जल्द लागू करने पर सरकार काम कर रही है। अभी केंद्र और राज्य के टैक्स अधिकारियों के दोहरे रिफंड मंजूरी प्राधिकरण की व्यवस्था लागू है। एक अधिकारी ने कहा कि एकल प्राधिकरण की प्रस्तावित व्यवस्था अगस्त तक लागू हो सकती है। नई व्यवस्था के जरिये सरकार रिफंड में होने वाली देरी के कारण निर्यातकों को होने वाली समस्या का निदान करना चाहती है। राजस्व विभाग जिस व्यवस्था पर काम कर रहा है उसके मुताबिक रिफंड का दावा मंजूर हो जाने के बाद करदाताओं को अपने क्षेत्रधिकार से संबंधित अधिकारी से ही संपूर्ण रिफंड मिल जाएगा। इसके बाद केंद्र और राज्य अपनी देनदारियों को अपने स्तर पर निपटा लेंगे।
रिफंड का भुगतान करने की वर्तमान प्रक्रिया थोड़ी लंबी है। इसके तहत यदि कोई करदाता केंद्र सरकार के टैक्स अधिकारियों को रिफंड का दावा दाखिल करता है, तो वे दावे के सिर्फ आधे हिस्से का भुगतान करते हैं। शेष आधी राशि का भुगतान आगे की जांच के बाद राज्य सरकार के टैक्स अधिकारी करते हैं।
करदाता यदि अपना दावा राज्य सरकार के टैक्स अधिकारियों के पास दाखिल करता है, तब भी इसी तरह से दो स्तरों पर रिफंड का भुगतान किया जाता है। इससे रिफंड मिलने में लंबा समय लग जाता है। इसके कारण निर्यातकों के सामने नकदी की किल्लत हो जाती है।
90 फीसद जीएसटी असेसी राज्य के दायरे में : जीएसटी काउंसिल द्वारा जीएसटी असेसी के विभाजन के लिए तय किए गए फामरूले के मुताबिक 1.5 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर तक वाले कारोबारी राज्य प्राधिकरण के दायरे में आते हैं। जीएसटी असेसी में 90 फीसद हिस्सा ऐसे ही असेसीज का है।
1.5 करोड़ रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाले शेष 10 फीसद असेसी केंद्रीय अधिकारियों के दायरे में आते हैं। इन 10 फीसद असेसी पर हालांकि केंद्र और राज्य का आधा-आधा नियंत्रण है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने प्रस्तावित व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एकल खिड़की टैक्स रिफंड प्रणाली से कारोबारी सहूलियत के मामले में देश की स्थिति में काफी सुधार होगा।
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