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शेयर बाजार में मचे कोहराम का है सऊदी कनेक्‍शन, दो दिन में निवेशकों के डूबे 2.72 लाख करोड़ रुपये

भारत ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ऑयल इंपोर्ट पर 111.9 अरब डॉलर खर्च किया था। तेल की कीमतों में वृद्धि का सीधा असर तेल के खुदरा विक्रेताओं पर देखने को मिलेगा।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 04:57 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 04:57 PM (IST)
शेयर बाजार में मचे कोहराम का है सऊदी कनेक्‍शन, दो दिन में निवेशकों के डूबे 2.72 लाख करोड़ रुपये

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सऊदी अरामको के ऑयल फैसिलिटी पर ड्रोन हमले के बाद पैदा हुए भूराजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी एवं रुपये के कमजोर पड़ने से भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को भारी गिरावट के साथ बंद हुए। बीएसई सेंसेक्स 642.22 अंक का गोता लगाकर 36,481.09 अंक अंक और एनएसई निफ्टी 185.90 अंक टूटकर 10,817.60 अंक पर बंद हुए।

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शेयर बाजार में हाल के दिनों में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है और इस वजह से निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूब गए हैं। शेयर बाजार में भारी बिकवाली के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में दो दिन के दौरान 2,72,593.54 करोड़ की कमी आई और मंगलवार को यह घटकर 1,39,70,356.22 करोड़ रपये के स्‍तर पर आ गया। आइए विस्तार से जानते हैं शेयर बाजारों में क्या है भारी गिरावट की वजहः

सऊदी अरब में तेल संयंत्र पर ड्रोन हमले से बढ़ा भूराजनीतिक तनाव

दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में शुमार सऊदी अरामको के दो संयंत्रों पर 14 सितंबर को ड्रोन हमला किया गया। इससे इन संयंत्रों को काफी नुकसान हुआ है एवं वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति में पांच फीसद की अस्थायी कमी आ गयी है। 

हुती विद्रोहियों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। हालांकि, अमेरिका ने ईरान को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है लेकिन ईरान ने अमेरिका के आरोपों को खारिज कर दिया है। इन सभी घटनाक्रमों से मिडिल ईस्ट सहित दुनियाभर में भूराजनीतिक तनाव बढ़ गया है। 

तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी

ड्रोन हमले के कारण दनियाभर में तेल उत्पादन में पांच फीसद की कमी आई है। इस कारण से कल क्रूड ऑयल की कीमतों में एक समय में 20 फीसद की तेजी आ गयी थी, जिसमें बाद में थोड़ी नरमी देखी गयी। 

ब्रेंट क्रूड का फ्यूचर 69 डॉलर प्रति बैरल पर रहा जो भारत जैसे देश के लिहाज से काफी चढ़ा हुआ है। ऐसा इसलिए कि भारत अपनी तेल जरूरत का 75 फीसद से ज्यादा आयात करता है। तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा।

उल्लेखनीय है कि भारत ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ऑयल इंपोर्ट पर 111.9 अरब डॉलर खर्च किया था। 

तेल की कीमतों में वृद्धि का सीधा असर तेल के खुदरा विक्रेताओं, पेंट, टायर कंपनियों पर देखने को मिलेगा।

रुपया भी हुआ है कमजोर

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से जुड़ी चिंताओं के बीच अमेरिकी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये में पिछले दो सत्र में 96 पैसे की गिरावट दर्ज की गयी है। भारतीय मुद्रा लगभग 72 रुपया प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गयी है। 

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि सऊदी अरब के तेल संयंत्र पर हमले से डॉलर की मांग में वृद्धि दर्ज की गयी है। 

सेंसेक्स पर लाल एवं हरे निशान के साथ बंद होने वाली कंपनियां

बीएसई सेंसेक्स के 30 में 27 कंपनियों के शेयर लाल निशान के साथ बंद हुए। हीरो मोटोकॉर्प, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, टाटा स्टील सहित प्रमुख ऑटो, फाइनेंस और आईटी कंपनियों के शेयरों में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली। हालांकि, हिन्दुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स एवं इंफोसिस के शेयर इस कोहराम में भी हरे निशान के साथ बंद हुए। 

निफ्टी पर गिरावट एवं बढ़त के साथ बंद होने वाली कंपनियां

वहीं एनएसई निफ्टी की बात करें तो 44 कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए जबकि गेल, टाइटन, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, एशियन पेंट्स, डॉक्टर रेड्डीज और इंफोसिस के शेयर ही हरे निशान के साथ बंद हुए। 


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