SEBI सेटलमेंट स्कीम में विलफुल डिफॉल्टर्स को राहत देने के मूड में नहीं
सेबी की ओर से विलफुल डिफॉल्टर और आर्थिक भगोड़ों को सेटलमेंट स्कीम में कोई राहत देने की संभावना कम है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मार्केट रेगुलेटर सेबी की एक कमेटी के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर, आर्थिक भगोड़ों को सेटलमेंट स्कीम में कोई राहत नहीं दी जा सकती है। सेबी के नियमों के मुताबिक शेयर बाजार से जुड़े नियमों के अनुपालन में गड़बड़ी को सेटल करने और माफी देने की व्यवस्था है।
कमेटी ने सिफारिशों में कहा है कि इनसाइडर ट्रेडिंग, फ्रंट-रनिंग और आइपीओ दस्तावेज में गलतबयानी से जुड़े मामलों में निपटारा हर केस के तथ्य और परिस्थितियों पर निर्भर होगा। अगर किसी गड़बड़ी से बाजार पर व्यापक पड़ता है, बड़ी संख्या में निवेशकों को नुकसान हुआ है या बाजार की विश्वनीयता पर असर पड़ता है तो सेबी ऐसे मामले में सेटलमेंट नहीं करेगा।
रिटायर्ड जज एआर दवे की अध्यक्षता वाली इस कमेटी ने सेटलमेंट के नियमों में गोपनीयता का प्रावधान जोड़ने का भी सुझाव दिया। उसने सेटलमेंट केस में आवेदन के लिए समय सीमा तय करने के लिए भी कहा है। इस समय सेटलमेंट केसों में गोपनीयता की कोई व्यवस्था नहीं है। सेबी के आदेश के साथ आवेदक का पूरा विवरण उसकी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाता है। सेबी ने कमेटी की सिफारिशों पर आम जनता से सुझाव और प्रतिक्रिया एक सितंबर तक मांगी है। इसके बाद सेबी इनके बारे में अंतिम फैसला करेगा।
सेबी में 1677 ने नहीं भरा जुर्माना 1सेबी के अनुसार मई के अंत 1677 कंपनियों, फर्मो और व्यक्तियों ने उसके द्वारा लगाया गया जुर्माना जमा नहीं कराया है। उसे इन डिफॉल्टरों की सूची जारी की है। सेबी ने 31 दिसंबर 2017 तक पारित आदेशों में जुर्माना लगाया था। तमाम मामलों में 15,000 रुपये जैसी मामूली जुर्माना बाकी है। जबकि कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें जुर्माना लाखों और करोड़ों रुपये में है।
जेट व उसकी रेटिंग एजेंसी की जांच शुरू की सेबी ने
संकट में घिरी जेट एयरवेज की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सेबी ने एयरलाइन और उसकी कुछ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की जांच शुरू कर दी है। सेबी के अधिकारियों के अनुसार सरकारी और प्राइवेट बैंकों से लिए गए 11,000 करोड़ रुपये के कर्जो के पुनभरुगतान में डिफॉल्टर होने के जोखिम की समय रहते जानकारी देने में विफलता के लिए यह जांच शुरू हुई है। अब बैंक खाते सुचारु हो गए हैं। लेकिन 30 जून तक समाप्त तिमाही में कई मौकों पर एयरलाइन समय पर भुगतान नहीं कर पाई। इस वजह से बैंकों ने उसे निगरानी में ले लिया।