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SEBI ने अंबानी बंधुओं व अन्य पर लगाया 25 करोड़ रुपये का जुर्माना, दो दशक पुराने इस मामले में रेगुलेटर ने दिया है ये आदेश

SEBI ने दो दशक पुराने एक मामले में उद्योगपति बंधुओं मुकेश अंबानी व अनिल अंबानी अन्य व्यक्तियों और इकाइयों पर कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। नियामक ने साल 2000 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से संबंधित अधिग्रहण नियमों का उल्लंघन करने को लेकर यह जुर्माना लगाया है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 10:42 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 06:12 AM (IST)
SEBI ने अंबानी बंधुओं व अन्य पर लगाया 25 करोड़ रुपये का जुर्माना, दो दशक पुराने इस मामले में रेगुलेटर ने दिया है ये आदेश
इस मामले में रेगुलेटर ने कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। (PC: AFP)

नई दिल्ली, पीटीआइ। बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने दो दशक पुराने एक मामले में उद्योगपति बंधुओं मुकेश अंबानी व अनिल अंबानी, अन्य व्यक्तियों और इकाइयों पर कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। नियामक ने साल 2000 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से संबंधित अधिग्रहण नियमों का उल्लंघन करने को लेकर यह जुर्माना लगाया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अंबानी बंधुओं के साथ-साथ नीता अंबानी और टीना अंबानी पर भी जुर्माना लगाया है। नीता अंबानी देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की पत्नी हैं। वहीं, टीना अंबानी उद्योगपति अनिल अंबानी की पत्नी हैं। सेबी ने 85 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा है कि RIL के प्रमोटर्स और पर्सन्स एक्टिंग इन कंसर्ट (PACs) साल 2000 में कंपनी की पांच फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी के अधिग्रहण को लेकर जानकारी देने में विफल रहे। 

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उल्लेखनीय है कि मुकेश और अनिल ने 2005 में रिलांस इंडस्ट्रीज का आपस में बंटवारा कर लिया था।  

सेबी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक आरआईएल (RIL) के प्रमोटर्स ने साल 2000 में कंपनी में 6.83 फीसद हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। साल 1994 में जारी 3 करोड़ वारंट को परिवर्तित कर यह अधिग्रहण किया गया था। सेबी का कहना है कि यह अधिग्रहण रेगुलेशन के तहत तय पांच फीसद की सीमा से ज्यादा था।  

सेबी ने पाया है कि प्रमोटर्स और PACs ने शेयरों के अधिग्रहण को लेकर कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की। चूंकि, प्रमोटर्स और PACs ने शेयरों के अधिग्रहण को लेकर सार्वजनिक ऐलान नहीं किया, इससे यह आरोप लगा कि उन्होंने अधिग्रहण नियमों से जुड़े प्रावधानों का उल्लंघन किया।  

ऑर्डर के मुताबिक विभिन्न व्यक्ति और इकाई सार्वजनिक घोषणा करने में विफल रहे इससे शेयरहोल्डर्स कंपनी से एक्जिट होने के अपने अधिकार या अवसर से वंचित हो गए। 

इस मामले में रेगुलेटर ने कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इस जुर्माना राशि का भुगतान संबंधित व्यक्ति और इकाइयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है।


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