SBI ने मांगी रुइया बंधुओं की संपत्ति जब्त करने की इजाजत
SBI ने प्रशांत रुइया और रवि रुइया की संपत्तियों को जब्त करने के लिए सोमवार को अहमदाबाद के डेट रिकवरी टिब्यूनल (डीआरटी) के समक्ष एक मुकदमा दाखिल किया।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने प्रशांत रुइया और रवि रुइया की संपत्तियों को जब्त करने के लिए सोमवार को अहमदाबाद के डेट रिकवरी टिब्यूनल (डीआरटी) के समक्ष एक मुकदमा दाखिल किया। एस्सार स्टील पर कर्जदाताओं का 63,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इस बकाए में ब्याज और जुर्माना भी शामिल हैं। कर्जदाताओं का नेतृत्व SBI कर रहा है। आर्सेलरमित्तल की समाधान योजना के तहत कर्जदाताओं को सिर्फ 42,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके तहत SBI के 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाए की वसूली नहीं हो पाएगी। इस बकाए में मूलधन, ब्याज और जुर्माना शामिल हैं। इस बकाए की वसूली के लिए एसबीआइ डीआरटी में कर्ज वसूली की प्रक्रिया चलाकर रुइया बंधुओं की दुनियाभर में स्थित निजी संपत्तियों को जब्त करना चाहता है।
एस्सार स्टील के एक अधिकारी ने हालांकि कहा कि रुइया बंधुओं ने कंपनी के लोन के कुछ ही हिस्से (करीब 11,000 करोड़ रुपये) के लिए निजी संपत्तियों की गारंटी दी थी। कंपनी की समाधान योजना से राशि मिलने और कंपनी को हाल में हुए कर पूर्व लाभ में से राशि मिलने के बाद कर्जदाताओं की वसूली में कमी रह जाने की संभावना नहीं है। इसलिए रुइया बंधुओं की गारंटी पर जोखिम नहीं है।
एसबीआई ने प्रशांत रुइया और रवि रुइया की पर्सनल गारंटीज को करीब 6-8 महीने पहले ही कब्जे में ले लिया था और अब उसने डीआरटी में मुकदमा दाखिल किया है। यदि डीआरटी से अनुमति मिलती है, तो देश और विदेश में स्थिति रुइया बंधुओं की निजी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी।
इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया के लिए टीम मजबूत करने में जुटा बैंक: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया के तहत 100 करोड़ रुपये से ऊपर के मामलों से निपटने के लिए अपनी टीम को मजबूत करने में जुटा है। इसके लिए वह और अधिक बैंक्रप्सी और लीगल फर्म को नियुक्त करना चाहता है। बैंक ने कहा कि 100 करोड़ रुपये से ऊपरी के मामलों को देखने के लिए वह एडवोकेसी और लॉ फर्म को पैनल में शामिल करना चाहता है। बैंक अभी आवेदनों पर विचार कर रहा है।
बैंक ने फरवरी में आइबीबीआई में रजिस्टर्ड इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स से आवेदन आमंत्रित किए थे। एनपीए के बड़े मामलों को एनसीएलटी में दाखिल करने को लेकर आरबीआइ का निर्देश सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाने के बाद एसबीआइ और अन्य बैंक आइबीसी के तहत लंबे खिच रहे मामलों को समयबद्ध तरीके से निपटाना चाहते हैं।