SBI का होम लोन घटाने का दिखावा, कर्ज दरों में मामूली कटौती
बैकों के रुख को देख कर लगता नहीं कि वे रेपो रेट घटने का पूरा फायदा जनता को देने के मूड में हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैकों के रुख को देख कर लगता नहीं कि वे रेपो रेट घटने का पूरा फायदा जनता को देने के मूड में हैं। देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने कर्ज की दरों में महज 0.05 फीसद की कटौती की है। एसबीआइ ने 30 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज दर अब 8.75 फीसद से घटा कर 8.70 फीसद कर दी है। इसका मतलब यह है कि 20 वर्षो के लिए एसबीआइ से लिए गए 30 लाख रुपये के लोन की मासिक किस्त अब करीब 95 रुपये कम पड़ेगी।
इससे पहले बहुत ही सीमित आधार वाले कर्जदाता बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने गुरुवार को 0.50 फीसद की कटौती की थी। कुछ और बड़े बैंक 10 से 15 आधार अंकों (0.10 या 0.15 फीसद) की कटौती कर सकते हैं। इन बैंकों का कहना है कि आरबीआइ की अगली समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसद की और कटौती संभव है। उसके बाद ही कर्ज की दरों मे बड़ी कटौती होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने गुरुवार को रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की थी।
बैंकों के इस ठंडे रुख की एक वजह यह है कि रिटेल लोन की दरों को किस तरह से तय करें, इसको लेकर असमंजस है।
दरअसल, पिछली बार मौद्रिक नीति की समीक्षा में रिटेल लोन की दरों को तय करने का नया फॉमरूला तय किया गया था। इस फॉमरूले के तहत आटो, होम या अन्य पर्सनल लोन की दरों को तय करने के लिए चार आधार बताए गए थे। इसमें आरबीआइ का रेपो रेट, सरकारी बांड की पिछले 91 या 182 दिनों की दरों का औसत या फाइनेंसिएल बेंचमार्क्स इंडिया की तरफ से सुझाई गई किसी अन्य दर को आधार बनाया जाना था। बैंक इसे इस वर्ष पहली अप्रैल से लागू करने की तैयारी में थे।
इस बीच आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि उक्त नीति अभी ड्राफ्ट के तौर पर लागू है और इस पर विचार किया जा रहा है। ऐसे में बैंक जल्दबाजी में कोई कदम नही उठाना चाहते।
दिल्ली स्थिति एक बड़े सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक रेपो दर में 25 आधार अंक की कटौती का हमारे पूंजी जुटाने की लागत पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। कर्ज की दरों में ज्यादा से ज्यादा 10 या 15 आधार अंकों (0.10 या 0.15 फीसद) की कटौती हो सकती है। बैंकों का कहना है कि अगर भविष्य में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती और हुई तो लोन की दरों में 0.25 फीसद तक घटाया जा सकता है।
शुक्रवार को कोटक महिंद्रा की रिपोर्ट के मुताबिक अगले छह महीनों में रेपो रेट में 0.50 फीसद की और कटौती संभव है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट भी यही कहती है कि अब विकास की गति तेज करने के लिए आरबीआइ रेपो रेट और घटाएगा।