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कोरोना काल में बचत घटी, कर्ज बढ़ा, जनवरी, 2021 में स्वर्ण आभूषण के बदले कर्ज लेने में 132 फीसद का इजाफा

आरबीआइ के मुताबिक कोरोना की शुरुआत के दौरान घरेलू बचत की दर में 21 फीसद की वृद्धि दर हुई थी। यह बताता है कि जब मुश्किल वक्त की शुरुआत हुई तो लोगों ने भविष्य की अनिश्चितताओं को देखते हुए अपने खर्चे में भारी कटौती की और बचत पर जोर दिया।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 08:47 AM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 02:48 PM (IST)
कोरोना काल में बचत घटी, कर्ज बढ़ा, जनवरी, 2021 में स्वर्ण आभूषण के बदले कर्ज लेने में 132 फीसद का इजाफा
प्रतीकात्मक तस्वीर ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना संकट ने देश की आम जनता के आय-व्यय पर किस तरह का असर डाला है, इसको लेकर अब धीरे-धीरे आंकड़े आने लगे हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान लोगों की बचत क्षमता घटी है और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की तरफ से शुक्रवार को जारी एक आंकड़ा बताता है कि जुलाई-सितंबर, 2020-21 तिमाही में घरों में बचत की दर ठीक पिछली तिमाही की 21 फीसद से घटकर 10.4 फीसद पर आ गई है। इसी दौरान जीडीपी के मुकाबले घरेलू कर्ज की दर 35.4 फीसद से बढ़कर 37.1 फीसद हो गई है।

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आरबीआइ के मुताबिक कोरोना की शुरुआत के दौरान घरेलू बचत की दर में 21 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई थी। यह आंकड़ा बताता है कि जब मुश्किल वक्त की शुरुआत हुई तो लोगों ने भविष्य की अनिश्चितताओं को देखते हुए अपने खर्चे में भारी कटौती की और बचत पर जोर दिया।

वहीं, एक ही तिमाही में बचत दर घटकर दस फीसद के करीब आने का मतलब यह है कि लोगों की आय के स्त्रोत घटे और खर्चे में भी वृद्धि हुई। वैसे, हर वर्ष समीक्षाधीन तिमाही में त्योहारी सीजन भी शुरू हो जाता है, जिसके चलते लोग खर्च ज्यादा करते हैं। इसका बचत पर सीधा असर दिखता है। वैसे, एक वर्ष पहले की समान तिमाही (जुलाई-सितंबर, 2019) में की बचत दर 9.8 फीसद थी।

आरबीआइ के मुताबिक, समीक्षाधीन तिमाही में बैंकों की तरफ से वितरित कर्ज की स्थिति स्थिर बनी रही। लेकिन सोना या स्वर्ण आभूषण गिरवी रखकर कर्ज लेने की गतिविधियां काफी बढ़ गई। जनवरी, 2021 में सोने के बदले कर्ज लेने में 132 फीसद का भारी इजाफा हुआ है। जनवरी, 2020 में सोने के बदले कर्ज लेने की दर 20 फीसद थी। वहीं, समग्र तौर पर बैंकिंग कर्ज वितरण की रफ्तार फरवरी, 2021 में महज 6.6 फीसद रही है।

सोने के बदले कर्ज लेने की आरबीआइ ने तो स्पष्ट वजह नहीं बताई है। लेकिन जानकारों का मानना है कि कोरोना काल में सोने की कीमत में भारी उछाल होने से लोगों को इस संपत्ति के बदले अधिक कर्ज मिलने की सुविधा दिखी। हालांकि, बहुत से लोग वित्तीय संकट के बीच भी स्वर्ण आभूषण बेचने या उसके बदले कर्ज लेने को मजबूर हुए।


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