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ज्यादातर पीएसयू प्राइवेट सेक्टर के ही बनाए हुए : सान्याल

प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने सरकार की निजीकरण की नीति का बचाव किया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि सरकार जिन भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की बिक्री की मंशा रखती है उनकी स्थापना निजी क्षेत्र द्वारा ही की गई थी।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 01:28 PM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 01:28 PM (IST)
एक कार्यक्रम में सान्याल का कहना था कि इसी तरह वर्ष 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने सरकार की निजीकरण की नीति का बचाव किया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि सरकार जिन भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की बिक्री की मंशा रखती है, उनकी स्थापना निजी क्षेत्र द्वारा ही की गई थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह कहना सत्य से परे है कि इन पीएसयू की स्थापना में आम लोगों का खून-पसीना लगा है। सान्याल ने उदाहरण देते हुए कहा कि एयर इंडिया को निजी क्षेत्र से जबरदस्ती लिया गया था और वर्ष 1953 में उसका राष्ट्रीयकरण किया गया।

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एक कार्यक्रम में सान्याल का कहना था कि इसी तरह वर्ष 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। ऐसे में जब लोग यह कहते हैं कि इन संस्थानों को नौकरशाही ने अपने खून-पसीने से बनाया है तो मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इन उपक्रमों को वास्तव में प्राइवेट कंपनियों ने बनाया था।

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही निजीकरण के संदर्भ में रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों को रेखांकित कर चुकी हैं। रणनीतिक क्षेत्रों में सरकार की उपस्थिति बनी रहेगी। जहां जरूरत होगी वहां सरकार नई सार्वजनिक कंपनी बनाने से पीछे नहीं हटेगी।

विकास वित्त संस्थान (डीएफआइ) के गठन का उदाहरण देते हुए सान्याल ने कहा कि सरकार ने हाल ही में बुनियादी ढांचा और विकास के वित्तपोषण के लिए राष्ट्रीय बैंक (एनएबीएफआइडी) का गठन किया। बैंकिंग क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह रणनीतिक क्षेत्र है और सरकार की उपस्थिति इसमें बनी रहेगी। जहां तक बैंकिंग क्षेत्र में समस्याओं की बात है तो यह दिक्कत निजी क्षेत्र के बैंकों के साथ भी है। यस बैंक का उदाहरण हमारे सामने है। ऐसे में यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर सरकार की मौजूदगी आवश्यक है।

सान्याल ने कहा कि दुनियाभर के कई देशों ने सरकारी बैंकिंग प्रणाली को बरकरार रखा है और वैश्विक वित्तीय संकट की स्थिति में बैंकिंग प्रणाली का राष्ट्रीयकरण भी किया है।


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