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सैमको म्यूचुअल फंड ने अपने पहले एनएफओ ‘सैमको फ्लेक्सी कैप फंड’ की शुरुआत की

इफिशिएंट कंपनियों में निवेश स्कीम केवल ऐसी इफिशिएंट कंपनियों में निवेश करेगी जिनमें लगातार उच्च रिटर्न प्राप्त करने की क्षमता है। सैमको का लक्ष्य पूंजी पर 5%+ समायोजित रिटर्न हासिल करने वाली कंपनियों में निवेश करने का है

By NiteshEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 02:50 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 02:50 PM (IST)
सैमको म्यूचुअल फंड ने अपने पहले एनएफओ ‘सैमको फ्लेक्सी कैप फंड’ की शुरुआत की
Samco Mutual Fund launches its first NFO Samco Flexi Cap Fund

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सैमको म्यूचुअल फंड ने आज अपने पहले एनएफओ ‘सैमको फ्लेक्सी कैप फंड’ की शुरुआत की घोषणा की। यह एनएफओ 17 जनवरी 2022 को खुलेगा और 31 जनवरी 2022 को बंद होगा। सैमको म्यूचुअल फंड भारत का पहला म्यूचुअल फंड है जो सभी तरह की डीलिंग लागत को पारदर्शी रखेगा। इसमें स्वैच्छिक डीलिंग लागत में फंड इनफ्लो/ आउटफ्लो जैसी स्वैच्छिक लेनदेन को छोड़कर खरीद और बिक्री पर आई फंड मैनेजर की पूरी लागत शामिल होगी। एयूएम के एक हिस्से के तौर पर इसकी गणना की जाएगी। इससे निवेशकों को निवेश की कुल लागत की गणना में मदद मिलेगी।

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सैमको एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर और डायरेक्टर जिमीत मोदी ने कहा, हम सैमको के पहले फंड के रूप में सैमको फ्लेक्सी कैप फंड की शुरुआत को लेकर काफी उत्साहित हैं। हमारे लक्ष्य के अनुरूप इस फंड को वास्तव में एक्टिव फंड के रूप में डिजाइन किया गया है और इसमें अधिक सक्रिय शेयरों को शामिल किए जाने का लक्ष्य है। इसके जरिए यह सुनिश्चित होगा कि निवेशकों को एक्टिव एसेट मैनेजमेंट फी के भुगतान पर वास्तव में ऐसे अलग फंड मिलें, जिनके लिए उन्होंने भुगतान किया था।

सैमको फ्लेक्सी कैप फंड के तहत 3 रणनीति का पालन

1. इफिशिएंट कंपनियों में निवेश: स्कीम केवल ऐसी इफिशिएंट कंपनियों में निवेश करेगी जिनमें लगातार ज्यादा रिटर्न प्राप्त करने की क्षमता है। सैमको का लक्ष्य पूंजी पर 5%+ समायोजित रिटर्न हासिल करने वाली कंपनियों में निवेश करने का है। इस स्कीम के तहत भारतीय और वैश्विक इक्विटी में 65%: 35% के अनुपात में 25 स्टॉक में निवेश की योजना है। ये स्टॉक सैमको के हेक्साशील्ड फ्रेमवर्क पर खरी उतरने वाली 125 कंपनियों में से होंगी।

2. इफिशिएंट कीमत पर: इस स्कीम के तहत तार्किक/ इफिशिएंट कीमत के साथ प्रतिभूतियों में निवेश किया जाएगा।

3. इफिशिएंट पोर्टफोलियो टर्नओवर और लागत को बनाए रखना: इस रणनीति का तीसरा और अहम स्तंभ छिपे हुए डीलिंग कॉस्ट को कम करना और प्रदर्शन में सुधार करना है। निवेशकों को लगता है कि उनके निवेश के तहत कुल लागत का अनुपात ही एक प्रकार का व्यय होता है जबकि एक छिपी हुई लागत भी होती है, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाता हैः फंड के अंदर डील करने की लागत। जब कोई फंड मैनेजर या निवेशक स्टॉक में डील करता है तो उसे कई तरह के शुल्क का भुगतान करना होता है जिनमें ब्रोकरेज कमीशन, 0.1 प्रतिशत की दर से सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, स्टांप ड्यूटी, सेबी की फीस शामिल हैं।


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