शेयर समीक्षा: रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमत पर रहेगी निवेशकों की नजर
इस समय रुपया डॉलर की तुलना में सबसे निचले स्तर पर चल रहा है। इससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इस हफ्ते डॉलर की तुलना में रुपये की हालत और कच्चे तेल की कीमत बाजार को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इनके अलावा निवेशकों की निगाह अंतरराष्ट्रीय बाजारों के हाल व कुछ वृहद आर्थिक आंकड़ों पर भी रहेगी। वाहन बिक्री के मासिक आंकड़ों को देखते हुए ऑटो शेयरों में विशेष उथल-पुथल दिख सकती है।
वैश्विक बाजारों का हाल: सुबह करीब 9 बजे सभी प्रमुख एशियाई बाजार गिरावट के साथ कारोबार करते देखे गए। जापान का निक्केई 0.50 फीसद की गिरावट के साथ 22751 पर, चीन का शांघाई 0.86 फीसद की गिरावट के साथ 2701 पर, हैंगसेंग 0.84 फीसद की गिरावट के साथ 27653 पर और ताइवान का कॉस्पी 0.45 फीसद की गिरावट के साथ 2312 पर कारोबार कर रहा था। वहीं अमेरिकी बाजारों की बात करें तो बीते दिन डाओ जोंस 0.09 फीसद की गिरावट के साथ 25964 पर, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स 0.01 फीसद की बढ़त के साथ 2901 पर और नैस्डैक 0.26 फीसद की बढ़त के साथ 8109 पर बंद हुए हैं।
एक्सपर्ट का नजरिया: एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने कहा, ‘इस हफ्ते की शुरुआत मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के पीएमआइ आंकड़ों से होगी। इन आंकड़ों का बाजार पर असर दिख सकता है।’ डॉलर की तुलना में रुपये में लगातार आ रही गिरावट और महंगा होता कच्चा तेल निवेशकों के लिए चिंता की वजह बने हुए हैं। शुक्रवार को रुपया 71 प्रति डॉलर के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। रुपये में और कमजोरी निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर सकती है।
आर्थिक विकास दर के बेहतर आंकड़े भी इस हफ्ते बाजार पर असर दिखा सकते हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के आंकड़े शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद जारी हुए थे। बीती तिमाही में देश की विकास दर दो साल के ऊंचे स्तर 8.2 फीसद पर पहुंच गई। मैन्यूफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र में तेजी के दम पर यह विकास दर मिली है। अर्थव्यवस्था में मजबूती के इन आंकड़ों पर इस हफ्ते निवेशकों की प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।
सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक व सीईओ जिमीत मोदी ने कहा, ‘बाजार में मुनाफावसूली का दौर दिख सकता है। कमजोर रुपये की वजह से आइटी सेक्टर निसंदेह ऊंचाई पर है। हालांकि शॉर्ट से मीडियम टर्म में देखा जाए तो आइटी स्टॉक पहले ही ओवरवैल्यू पर पहुंच चुके हैं। जल्द ही इनमें करेक्शन हो सकता है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि निर्यात पर आधारित अन्य उद्योग जैसे टेक्सटाइल, ऑटो एंसिलरी आदि में अब भी बढ़त की गुंजाइश है। बीते हफ्ते बीएसई के सेंसेक्स में 393.27 अंक की बढ़त दर्ज की गई थी।
अगस्त में विदेशी निवेशकों ने किया 5,189 करोड़ रुपये का निवेश: भारतीय पूंजी बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा कायम है। अगस्त में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआइ) ने भारतीय पूंजी बाजार में 5,189 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसमें से 1,775 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी में और 3,414 करोड़ रुपये का निवेश डेट मार्केट में हुआ। इससे पहले जुलाई में एफपीआइ ने भारतीय पूंजी बाजार में 2,300 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इससे पहले अप्रैल से जून की अवधि में विदेशी निवेशकों ने 61,000 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
शीर्ष 10 में से सात कंपनियों का एम-कैप बढ़ा: बाजार की शीर्ष 10 कंपनियों में से सात के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते हफ्ते 76,227 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। सबसे ज्यादा फायदे में एचडीएफसी बैंक रहा। एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 20,658.2 करोड़ रुपये बढ़कर 5,59,888.20 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। टीसीएस का एम-कैप 13,783.49 करोड़ रुपये बढ़कर 7,95,654.49 करोड़ रुपये रहा। इन्फोसिस, आइटीसी, एसबीआइ, कोटक म¨हद्रा बैंक और एचडीएफसी के बाजार पूंजीकरण में भी वृद्धि हुई। इससे इतर, रिलायंस इंडस्ट्रीज, मारुति सुजुकी और हिंदुस्तान यूनीलिवर के बाजार मूल्यांकन में बीते हफ्ते गिरावट दर्ज की गई।