Retail Inflation: पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची महंगाई दर, सब्जियों के दाम में 60% का भारी उछाल
Retail Inflation RBI ने दिसंबर में अपनी द्विमासिक आर्थिक समीक्षा में महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए ब्याज दर में कटौती का फैसला नहीं करके सभी विश्लेषकों को चौंका दिया था।
नई दिल्ली, पीटीआई/ रायटर्स। भारत में पिछले महीने महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ कर रख दी। सोमवार को जारी retail inflation के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 फीसद के आंकड़े पर पहुंच गई। यह पिछले साढ़े पांच साल का उच्चतम स्तर है। प्याज और अन्य सब्जियों के भाव में जबरदस्त तेजी के कारण दिसंबर में CPI आधारित खुदरा महंगाई दर में यह वृद्धि दर्ज की गई। मुद्रास्फीति अब आरबीआई के सहज स्तर को पार कर गई है। पिछले साल के आखिरी महीने में सब्जियों के दाम में दिसंबर, 2018 के मुकाबले 60.5 फीसद की तेजी दर्ज की गई।
इससे पहले नवंबर में मुद्रास्फीति 5.54 फीसद के स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं, पिछले साल के दिसंबर से तुलना की जाए तो खुदरा महंगाई में जबरदस्त बढ़त दर्ज की गई है। दिसंबर, 2018 में रिटेल इंफलेशन 2.18 फीसद पर था।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक दिसंबर में खाने-पीने की चीजों के दाम में 14.12 फीसद की तेजी दर्ज की गई। पिछले साल इसी महीने में CPI पर आधारित महंगाई दर -2.65 फीसद पर था। नवंबर, 2019 की बात करें तो इस महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 10.01 फीसद पर रही।
खुदरा मुद्रास्फीति इससे पहले जुलाई, 2014 में 7.39 फीसद पर रही थी। उस समय नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की सरकार पहली बार केंद्र में बनी थी। दिसंबर, 2020 में दाल एवं संबंधित उत्पादों में 15.44 फीसद की तेजी दर्ज गई। मांस एवं मछली की कीमतों में करीब 10 फीसद की तेजी देखी गई।
समाचार एजेंसी रायटर्स के पोल में 50 अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर में महंगाई दर के 6.20 फीसद के आंकड़े तक पहुंचने का अनुमान लगाया था। वहीं, आरबीआई ने भी मुद्रास्फीति को 4-6 फीसद के बीच रहने की बात कही थी।
Budget 2020 से पहले खुदरा महंगाई से जुड़े ये आंकड़े काफी अहम साबित हो सकते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इसके कुछ दिन बाद ही 6 फरवरी को आरबीआई ब्याज दरों की घोषणा करेगा।
RBI ने दिसंबर में अपनी द्विमासिक आर्थिक समीक्षा में महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए ब्याज दर में कटौती का फैसला नहीं करके सभी विश्लेषकों को चौंका दिया था। सभी आर्थिक विश्लेषक डिमांड में कमी को देखते हुए आरबीआई की ओर से बेंचमार्क दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे थे।