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थोक में दाम घटे, खुदरा में नहीं

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खाने-पीने की चीजों की थोक कीमतों में नरमी के बावजूद आम ग्राहक को कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी, 2013 में खुदरा कीमतों पर आधारित महंगाई की दर बढ़ कर 10.

By Edited By: Published: Tue, 12 Mar 2013 12:42 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
थोक में दाम घटे, खुदरा में नहीं

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खाने-पीने की चीजों की थोक कीमतों में नरमी के बावजूद आम ग्राहक को कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी, 2013 में खुदरा कीमतों पर आधारित महंगाई की दर बढ़ कर 10.91 फीसद हो गई है। जबकि इसी महीने थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर नीचे की तरफ आई है।

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खुदरा मूल्य सूचकांक में वृद्धि के लिए एक बार फिर सब्जियों, खाद्य तेलों और प्रोटीन आधारित अन्य उत्पादन मसलन, अंडे, मांस, मछली, दूध आदि की कीमतों में जिम्मेदार रही है। साफ है कि प्रोटीन उत्पादों की आपूर्ति बढ़ाने को लेकर सारे सरकारी प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। साथ ही खाद्यान्न आपूर्ति के रास्ते में बिचौलिये जमकर मुनाफा कमा रहे हैं।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को खुदरा मूल्य वाली महंगाई के आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के मुताबिक मोटे अनाजों की खुदरा कीमतों में 17.04, दालों में 12.39, खाद्य तेलों में 14.56, अंडे-मछली-मांस में 15.72 और सब्जियों में 21.29 फीसद की वृद्धि हुई है। कपड़े व जूते-चप्पलों के मूल्य सूचकांक में भी 10.87 फीसद की वृद्धि हुई है। रिजर्व बैंक पिछले तीन-चार वर्षो से सरकार से प्रोटीन आधारित खाद्य उत्पादों में महंगाई की बेलगाम स्थिति पर चिंता जता रहा है। सरकार से आपूर्ति पक्ष को सुधारने की पैरवी कर रहा है। सरकार के स्तर पर कई तरह के कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं, लेकिन इसका जमीन पर असर पड़ता नहीं दिख रहा।


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