खुदरा महंगाई 22 माह के उच्चतम स्तर पर, औद्योगिक उत्पादन सुस्त
तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद जहां औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार जोर नहीं पकड़ रही तो वहीं खुदरा महंगाई दर भी धीरे-धीरे सिर उठा रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर सरकार की चुनौतियां बरकरार हैं। एक ओर खुदरा महंगाई धीरे-धीरे सिर उठा रही है वहीं दूसरी ओर सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार जोर नहीं पकड़ पा रही है। सरकार के लिए परेशानी का सबब बनी दालों और सब्जियों की आसमान छूती कीमतों के चलते खुदरा महंगाई दर जून में बढ़कर 5.77 प्रतिशत हो गयी है जो 22 माह मे सर्वाधिक है।
सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि महंगाई बढ़ने की रफ्तार शहरों की अपेक्षा गांवों में अधिक है जहां लोगों की आमदनी का स्तर अपेक्षाकृत बहुत नीचा है। वहीं औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) अप्रैल में गिरावट के बाद मई में मात्र 1.2 प्रतिशत बढ़ा है। इससे पता चलता है कि औद्योगिक सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार की ओर से की जा रही कोशिशें परवान नहीं चढ़ रही हैं। ऐसे में औद्योगिक उत्पादन की सुस्त रफ्तार को गति देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की मांग जोर पकड़ सकती है लेकिन सिर उठाती महंगाई सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है।
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केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.77 प्रतिशत हो गयी है जबकि मई में यह 5.76 प्रतिशत और पिछले साल जून में 5.40 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई का यह स्तर अगस्त 2014 में 7.8 प्रतिशत के बाद सर्वाधिक है। जून में गांवों में खुदरा महंगाई दर 6.20 प्रतिशत रही जबकि शहरों में यह 5.26 प्रतिशत थी। वैसे प्रदेशवार देखें तो सर्वाधिक महंगाई दर उड़ीसा में रही है। उड़ीसा के ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर दहाई के अंक के करीब पहुंच गयी है।
जहां तक खाने-पीने की चीजों का सवाल है तो खाद्य महंगाई दर जून में 7.79 प्रतिशत रही है। खाद्य वस्तुओं में सबसे ज्यादा महंगाई दर दालों की 26.86 प्रतिशत, चीनी और कन्फेक्शनरी की 16.79 प्रतिशत और सब्जियों की 14.74 प्रतिशत रही। हालांकि दालों की महंगाई बढ़ने की रफ्तार थोड़ी कम हुई है क्योंकि इस साल मई में दालों की मुद्रास्फीति 31.57 प्रतिशत थी। वहीं मसालों की महंगाई भी 8.61 प्रतिशत बढ़ी। वैसे अनाज की महंगाई दर सिर्फ 3.07 प्रतिशत ही रही है। अगर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं के बढ़ते दामों को देखें तो इनकी महंगाई शहरों की अपेक्षा गांवों में अधिक है।
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गांवों में शिक्षा सेवा की महंगाई 6.72 प्रतिशत रही जबकि शहरों में यह 5.36 प्रतिशत थी। इसी तरह गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की महंगाई दर 4.82 प्रतिशत और शहरों में 4.51 प्रतिशत रही। ईधन और लाइट श्रेणी में महंगाई दर 2.92 प्रतिशत रही है जो खाद्य वस्तुओं और अन्य श्रेणियों की अपेक्षा काफी कम है। मंत्रालय के अनुसार इस साल मई में आइआइपी में 1.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है जबकि पिछले साल मई में इसमें 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वैसे इस साल अप्रैल में आइआइपी में 1.34 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल और मई दोनों महीनों को मिलाकर देखें तो आइआइपी में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आयी है जबकि पिछले साल इस अवधि में 2.8 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
वैसे मई महीने में टीवी, रेफ्रिजरेटर और वाशिंगमशीन जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पिछले साल समान महीने में 3.9 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। आइआइपी में 75 प्रतिशत योगदान करने वाले मैन्युफैक्चरिंग में मई महीने में 0.7 प्रतिशत वृद्धि हुई जबकि पिछले साल समान महीने में 2.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वहीं खनन में इस अवधि में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले साल समान महीने में इसमें 2.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।