अगस्त महीने में कृषि, ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई मामूली रूप से हुई कम
सूचकांक में वृद्धि/गिरावट अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रही। खेतिहर मजदूरों के मामले में 15 राज्यों में 1 से 15 अंक की वृद्धि दर्ज की गई जबकि 5 राज्यों में 2 से 13 अंकों की कमी दर्ज की गई। तमिलनाडु 1247 अंकों के साथ सूचकांक लिस्ट में टॉप पर रहा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। अगस्त में कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई मामूली रूप से कम होकर क्रमशः 3.9 फीसद और 3.97 फीसद हो गई। इस साल जुलाई में कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए सीपीआई आधारित महंगाई क्रमश: 3.92 फीसद और 4.09 फीसद थी। श्रम मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि CPI-AL (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि मजदूर) और सीपीआई-आरएल (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-ग्रामीण मजदूर) पर आधारित महंगाई की बिंदु दर 3.92 फीसद की तुलना में अगस्त, 2021 में 3.90 फीसद और 3.97 फीसद थी। जुलाई 2021 में क्रमशः 4.09 फीसद और पिछले वर्ष के इसी महीने (अगस्त 2020) के दौरान क्रमशः 6.32 फीसद और 6.28 फीसद थी।
इसी तरह खाद्य महंगाई अगस्त 2021 में 2.13 फीसद और 2.32 फीसद रही, जो जुलाई 2021 में क्रमश: 2.66 फीसद और 2.74 फीसद थी। अगस्त 2021 के महीने के लिए कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्या क्रमशः 5 अंक और 4 अंक बढ़कर 1,066 और 1,074 अंक पर पहुंच गई। इस साल जुलाई में सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल क्रमश: 1,061 अंक और 1,070 अंक थे।
कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के सामान्य सूचकांक में वृद्धि के लिए प्रमुख योगदान क्रमशः 2.43 और 2.28 अंक के साथ खाद्य समूह से आया। मुख्य रूप से चावल, दूध, सरसों-तेल, वनस्पति, मूंगफली-तेल, चाय पत्ती आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ। .
सूचकांक में वृद्धि/गिरावट अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रही। खेतिहर मजदूरों के मामले में 15 राज्यों में 1 से 15 अंक की वृद्धि दर्ज की गई जबकि 5 राज्यों में 2 से 13 अंकों की कमी दर्ज की गई। तमिलनाडु 1,247 अंकों के साथ सूचकांक लिस्ट में टॉप पर रहा जबकि हिमाचल प्रदेश 839 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा।
ग्रामीण मजदूरों के मामले में 15 राज्यों में 1 से 16 अंक की वृद्धि दर्ज की गई जबकि 5 राज्यों में 2 से 12 अंकों की कमी दर्ज की गई। कर्नाटक 1,235 अंकों के साथ सूचकांक तालिका में शीर्ष पर रहा जबकि बिहार 872 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा।