छोटी बचत योजनाओं के डिपॉजिट में आया तेज उछाल
नैशनल स्मॉल सेविंग्स फंड यानी एनएसएसएफ में रिकॉर्ड जमा हुआ है, यह देश की सभी छोटी बचत निवेश योजनाओं को मिलाकर बनता है
नई दिल्ली। नैशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (एनएसएसएफ) में रिकॉर्ड डिपॉजिट हुआ है। देश की सभी छोटी बचत निवेश योजनाओं को मिलाकर एनएसएसएफ बनता है। आजकल अधिकांश लोग सरकारी बचत योजनाओं में पैसे जमा करना पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन स्कीम्स में बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है।
इन फंड्स में होने वाले निवेश में बढ़ोतरी की मदद से आगामी वित्त वर्ष में सरकार की उधारी कम रहने की संभावना है। आपको बता दें कि मार्च 2017 को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में अब तक सरकार अपनी उधारी में 18000 करोड़ रुपये की कमी कर चुकी है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसकी मुख्य वजह इन डिपॉजिट्स में आया तेज उछाल है।
इन फंड्स में शामिल पब्लिक प्रविडेंट फंड (पीपीएफ), किसान विकास पत्र (केवीपी) और नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) में इस वित्त वर्ष में नवंबर महीने तक कुल 1.01 लाख करोड़ रुपये जमा हुए थे। इस फंड का इस्तेमाल सरकार अपने घाटे की भरपाई में करती है। मार्च 2016 में खत्म वित्त वर्ष में इन फंड्स में 50,890 करोड़ रुपये जमा हुए थे। यह मार्च 2001 को समाप्त वित्त वर्ष के बाद सबसे ज्यादा है।
जमा राशि में तेज उछाल आने का सबसे बड़ा कारण इन सेविंग्स स्कीम्स और बैंकों के डिपॉजिट रेट में बड़ा अंतर होना है। मसलन, 2014 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) 5-10 वर्ष के एफडी पर 8.5 फीसदी ब्याज दे रहा था जबकि पीपीएफ का रेट 8.7 फीसदी था। इस हिसाब से दोनों के रिटर्न में सीधे 20 बेसिस प्वाइंट का अंतर है।
ब्याज दर में गिरावट और बैंकिंग क्षेत्र में लिक्विडिटी बढ़ने से अब एसबीआई का 5-10 साल डिपॉजिट रेट घटकर 6.5 फीसदी रह गया है। इसके मुकाबले पीपीएफ की ब्याज दर 8.7 फीसदी से घटकर 8 फीसदी पर आया है। इससे एसबीआई के जमा दर और पीपीएफ की दर में फर्क बढ़कर 150 बेसिस प्वाइंट्स हो गया है। 100 बेसिस प्वाइंट्स एक फीसदी प्वाइंट के बराबर होता है।