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सेंसेक्स 26000 और निफ्टी 8000 के स्तर से नीचे बंद, ये हैं शेयर बाजार में गिरावट के 5 बड़े कारण

सोमवार के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 385.10 अंक गिरकर 25,765.14 के स्तर पर और निफ्टी 145 अंकों की गिरावट के साथ 7929.10 के स्तर पर बंद हुआ है। जानिए बाजार की गिरावट के पीछे पांच बड़े कारण हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 21 Nov 2016 01:02 PM (IST)Updated: Mon, 21 Nov 2016 03:53 PM (IST)
सेंसेक्स 26000 और निफ्टी 8000 के स्तर से नीचे बंद, ये हैं शेयर बाजार में गिरावट के 5 बड़े कारण

नई दिल्ली। बीते सात सत्रों से जारी शेयर बाजार की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही। बीते 7 कारोबारी सत्र में प्रमुख सूचकांक निफ्टी 7 फीसदी तक टूट गया। वहीं 8 नवंबर के उच्चतम स्तर से सेंसेक्स 1900 अंक टूट गया। बाजार की इस गिरावट का कारण एक्सपर्ट जहां एक ओर अमेरिका में बॉण्ड यील्ड के बढ़ने और डॉलर इंडेक्स के मजबूत होने को मान रहे हैं वहीं दूसरी ओर नोटबंदी के फैसले के बाद अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों को बता रहे हैं। सोमवार के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 385.10 अंक गिरकर 25,765.14 के स्तर पर और निफ्टी 145 अंकों की गिरावट के साथ 7929.10 के स्तर पर बंद हुआ है।

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बाजार की गिरावट के पीछे पांच बड़े कारण हैं, जानिए-

1. डोएशे बैंक व जेफरीज ने घटाया सेंसेक्स निफ्टी लक्ष्य

डोएशे बैंक ने सेंसेक्स का लक्ष्य 27,000 से घटाकर 25000 कर दिया है। वहीं ग्लोबल इंवेस्टमेंट बैंकिंग फर्म जेफरीज ने आज अगले 6 महीनों के लिए निफ्टी का लक्ष्य 7500 कर दिया है। बाजार पर घटाए गए यह लक्ष्य बाजार के लिहाज से नकारात्मक हैं।

2. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर

सोमवार के कारोबारी सत्र में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 68.21 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि शुक्रवार को यह 68.13 के स्तर पर बंद हुआ था। इस साल मार्च महीने से रुपए का यह सबसे निचला स्तर है। रुपए में इस गिरावट के पीछे दो वजहें बताई जा रही हैं। एक यह कि भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेशक भारी स्तर पर बिकवाली कर रहे हैं और दूसरा यह कि डॉलर विश्व की अन्य मुद्राओं के मुकाबले तेजी से मजबूत हो रहा है। आपको बता दें कि विदेशी निवेशक इस महीने तक 9000 करोड़ रुपए की इंडियन इक्विटी बेच चुके हैं, जिससे भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है।

3. नोटबंदी से जीडीपी में गिरावट की आशंका-

केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से अगले 12 महीनों के भीतर देश की जीडीपी में 1 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है। जबकि लंबी अवधि के लाभ पूरी तरह से सुधारों पर निर्भर करेंगे। यह बात एचएसबीसी ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कही है। वैश्विक वित्तीय सेवाएं देने वाली एचएसबीसी ने बताया कि अल्प अवधि में भारत की तरफ से नोट वापसी और पुरानी करेंसी बैन करने के फैसले से कुछ लाभ भी होंगे और कुछ नुकसान भी। वहीं, केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि सरकार के नोटबंदी के फैसले से चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 0.3 से 0.5 फीसदी तक घटेगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार के इस कदम से विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार प्रभावित होने की आशंका है। साथ ही, चीन में आर्थिक सुधार तेजी से हो रहे है। मसलन, भारत के हाथ से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा छिन सकता है।

4. Q3 नतीजे हो सकते हैं प्रभावित

घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के अनुसार सरकार के नोटबंदी के फैसले से कंपनियों की तीसरी तिमाही के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। जिन क्षेत्रों में नोटबंदी का असर दिखेगा उसमें ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी, रिटेल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे क्षेत्र प्रमुख हैं। फर्म के मुताबिक पैसों के कम संचालन के साथ घरेलू खपत को झटका लगा है और नोटबंदी के अगले पांच दिन के भीतर लगभग हर क्षेत्र के बिजनेस में 30 से 80 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इससे हमें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के नतीजे सबसे प्रभावित होने की उम्मीद हैं।

वहीं, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का कहना है कि नोटबंदी का फैसला खुदरा व्यापार में शामिल कंपनियों की तीसरी तिमाही की कमाई को प्रभावित कर सकता है। यह प्रभाव इस महीने के अंत तक नकदी की समस्या खत्म न होने तक जारी रहेगा। एक साक्षात्कार के दौरान सीआईआई के अध्यक्ष नौशाद फोर्ब्स ने खुदरा व्यापार से जुड़ी कंपनियों पर नवंबर में असर होगा और इसमें कोई सवाल ही नहीं है। जितनी तेजी के नकदी बाजार में आएगी, उतनी ही तेजी से इनकी स्थिति में सुधार होगा। अगर नकदी की किल्लत जो आज आप देख रहे हैं वो अगर अगले महीने तक जारी रहती है तो आप निश्चित तौर पर देखेंगे कि तीसरी तिमाही की कमाई प्रभावित होगी।” तीसरी तिमाही के नतीजों में यह गिरावट बाजार के लिए चिंताजनक है।

5. विदेशी निवेशकों की ओर से भारी बिकवाली -

सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय बाजार में करीब 10542.87 करोड़ की निकासी कर चुके हैं। विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली जारी रहना बाजार के लिए चिंताजनक है। विदेशी निवेशकों की ओर से यह बिकवाली जारी रही तो बाजार में और नीचे के स्तर देखने को मिल सकते हैं।


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