RBI ने NCLAT से कहा बैंकों का IL&FS खातों को फंसे कर्ज में वर्गीकरण करना जरूरी
केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह बैंकों की बाध्यता है कि 90 दिन की चूक के बाद वे इसे फंसे कर्ज (एनपीए) में चिन्हित करें और उन्हें इससे राहत नहीं मिल सकती है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आरबीआई ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) से कहा है कि बैंकों को कर्ज में डूबे आईएलएंडएफएस तथा उसकी कंपनियों के खातों को उसके मूल परिपत्र तथा उच्चतम न्यायालय के फैसले के संदर्भ में फंसे कर्ज के रूप में वर्गीकृत करना होगा।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह बैंकों की बाध्यता है कि 90 दिन की चूक के बाद वे इसे फंसे कर्ज (एनपीए) में चिन्हित करें और उन्हें इससे राहत नहीं मिल सकती है। शीर्ष बैंक के अनुसार यह एक प्रक्रिया है जिसका पालन प्रत्येक बैंक को करना ही होगा।
आरबीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन ने एनसीएलएटी के समक्ष कहा कि निष्पक्ष लेखा के लिए बैंकों के बही-खातों का सही रूप से दिखना जरूरी है। जैन ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य पारदर्शी तथा निष्पक्ष एकाउंटिंग प्रणाली सुनिश्चित करना है ताकि संस्थानों की सेहत प्रभावित नहीं हो।’’
जैन ने आगे कहा, " आईएलएंडएफएस में समाधान के लिए जो भी प्रक्रिया है, हम केवल इतना बता रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप बैंकों को फंसे कर्ज की स्थिति रिकार्ड में लेनी होगी।" उनके अनुसार, नियामक का काम सभी बैंकों के लिए सही नीति रखना है। उन्होंने आगे कहा कि बैंक अपने खातों को अंतिम रूप दे रहे हैं और इस पर एनसीएलएटी से स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।