बैंक फ्रॉड से बचाव के नियम जल्द, ग्राहकों से ज्यादा शुल्क वसूलने पर होगी सख्ती
RBI ग्राहकों को डिजिटल धोखाधड़ी से बचाने के लिए नए नियम लाएगा
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ग्राहकों को डिजिटल धोखाधड़ी से बचाने के लिए जल्द ही नए नियम लाएगा। इनके जरिये इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हुई धोखाधड़ी में ग्राहक की जिम्मेदारी (लायबिलिटी) कम की जाएगी। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने एक कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी दी। मूंदड़ा ने उन बैंकों को भी चेताया जो ग्राहकों से बहुत ज्यादा शुल्क वसूल रहे हैं और इस बहाने सेवा देने से इन्कार कर रहे हैं।
आरबीआइ ने अगस्त, 2016 में जारी एक ड्राफ्ट सकरुलर में कहा था कि अगर किसी धोखाधड़ी में ग्राहक शामिल नहीं है तो उसकी देनदारी सिर्फ 5,000 रुपये तक होगी। इसकी सूचना सात दिन के भीतर देनी होगी। अगर बैंक के सिक्योरिटी सिस्टम में गड़बड़ी हुई है तो ग्राहक की जिम्मेदारी शून्य होगी। इसकी सूचना भी तीन दिन के भीतर देनी होगी। इन नए नियमों को बढ़ते डिजिटल ट्रांजैक्शन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। आरबीआइ ने लोगों और विशेषज्ञों से मिले सुझावों को समाहित करते हुए जल्द ही इस संबंध में अंतिम दिशानिर्देश जारी कर देगा।
मूंदड़ा के मुताबिक नकली चेक को लेकर भी शिकायतें बढ़ रही हैं। नकली चेक से बैंकिंग सिस्टम जूझ रहा है। इनमें सीरियल नंबर की जानकारी दूसरों को पता लग जाती है। साथ ही इनकी प्रिंट की क्वॉलिटी भी बहुत अच्छी नहीं है। बैंकों को इस बारे में सचेत रहना होगा।
शुल्क के बहाने ग्राहकों से इन्कार
मूंदड़ा के मुताबिक बैंकों को फीस और चार्ज तय करने की स्वायतता दी गई है, मगर इसके जरिये वे ग्राहकों की सेवा में कमी नहीं कर सकते। कुछ बैंक खातों में न्यूनतम बैलेंस और अन्य सुविधाओं पर ज्यादा शुल्क लगाकर कुछ ग्राहकों को सेवाएं लेने से दूर रख रहे हैं। कुछ संस्थाओं में ऐसा चिंताजनक रुझान देखने को मिल रहा है। जबरन चार्ज रिजर्व बैंक के तीन फोकस क्षेत्र में से एक है। इसके खिलाफ सख्ती की जाएगी। इस बार की वार्षिक निगरानी में थर्ड पार्टी के जरिये गलत तरीके से बेचे गए उत्पादों, केवाईसी (अपने ग्राहक को जानिए) नियमों का उल्लघंन और बैंक के चार्जो पर फोकस रहेगा। रिजर्व बैंक वार्षिक निगरानी दूसरी तिमाही में शुरू करता है और वित्त वर्ष खत्म होने तक जारी रखता है
अकाउंट पोर्टेबिलिटी से सुधरेगी सेवा
डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘जैसे मोबाइल नंबर पोर्टेबल होते हैं हैं, ऐसे ही बैंक के बीच खाते भी ट्रांसफर हो सकते हैं। दो साल पहले मैने बैंक खाता नंबर की पोर्टेबिलिटी का विचार रखा था। अब यह आधार और आइएमपीएस (इमीडिएट पेमेंट सर्विस) से संभव है। अगर बैंक खाते ट्रांसफर हो जाएंगे तो न बोलने वाले ग्राहक भी चुपचाप अपने बैंकों से निकल जाएंगे। बैंकों को सोचना चाहिए कि पोर्टेबिलिटी का यह सिस्टम कैसे काम करेगा।’
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