Move to Jagran APP

RBI ने कहा: सारे सुधारों को चुनौती दे रही कोरोना महामारी, ग्रोथ रेट का अनुमान लगाने से किया परहेज

RBI ने गुरुवार को जारी मोनेटरी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी पिछले कई महीनों से चलाए जा रहे सभी आर्थिक सुधारों को चुनौती देती दिख रही है।

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 07:25 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 08:32 AM (IST)
RBI ने कहा: सारे सुधारों को चुनौती दे रही कोरोना महामारी, ग्रोथ रेट का अनुमान लगाने से किया परहेज
RBI ने कहा: सारे सुधारों को चुनौती दे रही कोरोना महामारी, ग्रोथ रेट का अनुमान लगाने से किया परहेज

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को जारी मोनेटरी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी पिछले कई महीनों से चलाए जा रहे सभी आर्थिक सुधारों को चुनौती देती दिख रही है। आरबीआइ के मुताबिक कोरोना आने से पहले तक भारतीय इकोनॉमी में सब कुछ बढ़िया चल रहा था। जबरदस्त रबी की फसल हुई थी और खाद्य उत्पादों की कीमतों में तेजी का रुख था जिससे संकेत मिल रहे थे कि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी।

loksabha election banner

आरबीआइ के दबाव में ब्याज दरों में कटौती का फायदा बैंक ग्राहकों को देने लगे थे। सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का फायदा कारपोरेट सेक्टर पर दिखने लगा था जिसकी वजह से जीएसटी का संग्रह भी बढ़ने लगा था। लेकिन कोरोना महामारी ने इन सारी संभावनाओं पर पानी फेर दिया है। हालात यह है कि कच्चे तेल की कीमतों में जो कमी हुई है, उसका भी मौजूदा स्थितियों में फायदा नहीं उठाया जा सकता।

वैसे तो कोविड-19 वायरस के प्रसार के बाद दुनिया की तमाम शोध एजेंसियां और आर्थिक थिंक टैंक ने एक स्वर में यह एलान कर दिया है कि इस महामारी की वजह से दुनिया संभवत: अभी तक की सबसे बड़ी मंदी की जाल में फंस चुकी है। आरबीआइ ने यह बात इतनी स्पष्टता से तो नहीं कही है लेकिन उसने भी माना है कि संकट बहुत बड़ा है। यही वजह है कि उसने अभी भी चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर या महंगाई दर का कोई अनुमान नहीं लगाया है। 

केंद्रीय बैंक ने यह निश्चित तौर पर कहा है कि कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन भारत की आर्थिक गतिविधियों पर बहुत ही ज्यादा असर डालेगा। आरबीआइ का कहना है कि आने वाले दिनों में हालात किस तरफ जाएंगे, यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कोविड-19 के बाद हालात कितनी तेजी से सामान्य होते हैं। लॉकडाउन जैसी स्थिति लंबा खींचने का उल्टा असर भी ज्यादा रहेगा। जितनी तेजी से हम आर्थिक गतिविधियों को सामान्य करेंगे उतनी ही तेजी से हम आर्थिक विकास की रफ्तार भी बढ़ा सकेंगे। 

आरबीआइ ने कहा है कि कोविड-19 को दुनिया के सामने एक काली छाया की तरफ लटकी रहेगी। महंगाई के बारे में आरबीआइ ने कहा है कि वैसे तो इसके बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं है लेकिन लॉकडाउन की वजह से आपूर्ति प्रभावित होती है तो कुछ जरूरी उत्पादों की कीमतों में इजाफा हो सकता है।

आरबीआइ ने जून को समाप्त तिमाही में महंगाई की दर 4.8 फीसद, सितंबर में समाप्त तिमाही में 4.7 फीसद और दिसंबर तिमाही में 2.7 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, आरबीआइ ने यह भी कहा है कि यह अनुमान कोविड-19 के प्रसार के पहले के हालात में लगाया गया है। अभी किसी भी तरह का अनुमान लगाना काफी चुनौतीपूर्ण है। वर्ष 2020-21 के लिए आर्थिक विकास दर का भी कोई अनुमान नहीं लगाया गया है। संभवत: यह पहला मौका है कि केंद्रीय बैंक ने विकास दर या महंगाई के लिए कोई अनुमान नहीं लगाए हैं। सरकार की तरफ से सबसे पहले विकास दर का अनुमान आरबीआइ ही लगाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.