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RBI की मौद्रिक नीति समिति ने कहा: 6 फीसद से ज्यादा की महंगाई खतरनाक, आगे Repo Rate बढ़ाने के दिए संकेत

RBI के डिप्टी गवर्नर डॉ. माइकल पात्रा का कहना है कि अगर महंगाई हाथ से बाहर निकलती है तो आर्थिक रिकवरी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। उन्होंने चार कारण बताये हैं कि क्यों छह फीसद से ज्यादा महंगाई की दर को भारत के लिए खतरनाक है

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2022 08:58 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 08:33 AM (IST)
RBI की मौद्रिक नीति समिति ने कहा: 6 फीसद से ज्यादा की महंगाई खतरनाक, आगे Repo Rate बढ़ाने के दिए संकेत
RBISaid: Inflation of more than 6%t is dangerous, a sign of increasing the repo rate even further

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जिस महंगाई ने पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंकों की सांसें फूला दी हैं उसका डर आरबीआइ (RBI) पर भी तारी है। जून माह में आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में महंगाई को लेकर जिस तरह की चिंताएं समिति के सारे सदस्यों ने एक सुर में जताई है उससे यह भी संकेत साफ है कि रेपो रेट में वृद्धि का सिलसिला अभी जारी रहने वाला है। मई और जून, 2022 में आरबीआइ ने रेपो रेट (ब्याज दरों को तय करने वाला प्रमुख वैधानिक दर) में कुल 0.90 फीसद की वृद्धि की है। लेकिन महंगाई का खतरा कम नहीं हुआ है। आरबीआइ के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास के शब्दों में, “महंगाई अभी भी एक बड़ी चिंता बनी हुई है, आर्थिक गतिविधियों में सुधार तेजी से हो रहा है लेकिन अब इसमें खिंचाव आ रहा है।''

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समिति के एक दूसरे सदस्य व आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर डॉ. माइकल पात्रा का कहना है कि अगर महंगाई हाथ से बाहर निकलती है तो आर्थिक रिकवरी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। उन्होंने चार कारण बताये हैं कि क्यों छह फीसद से ज्यादा महंगाई की दर को भारत के लिए खतरनाक है। पहला कारण यही है कि आर्थिक विकास दर की रफ्तार को तेज करने की कोशिशों के लिए घातक है। दूसरा, कंपनियों के लिए निवेश संबंधी फैसला करना मुश्लिक होगा क्योंकि उत्पादों की कीमतों को लेकर अनिश्चितता होती है। तीसरा, बैंक जमा को लेकर अनिश्चितता बढ़ती है और लोग सोना आदि में निवेश शुरु कर सकते हैं। भारत पहले ही दुनिया में सोना का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। चौथा, रुपया कमजोर होता है जिससे आयात महंगा हो जाता है और इसका असर महंगाई पर दोबारा से होता है।

ऐसे में आरबीआइ की कोशिश महंगाई को उसके निर्धारित बैंड (4 से 6 फीसद) के बीच रखने की हर कोशिश होनी चाहिए ताकि वर्ष 2022-23 और वर्ष 2023-24 में आर्थिक विकास दर 6-7 फीसद के बीच बनी रहे।बताते चलें कि मई, 2022 में भारत में खुदरा महंगाई की दर 7.04 फीसद रही है। पिछले पांच महीनों से महंगाई दर लगातार आरबीआइ की तरफ से तय लक्ष्य से ज्यादा बनी हुई है।

आगे रेपो रेट में और वृद्धि संकेत आरबीआइ गवर्नर के इस बयान से मिलता है कि अभी इसकी दर महामारी शुरु होने से पहले के स्तर पर नहीं पहुंची हैं। उन्होंने आश्वस्त किया है कि ब्याज दरों में वृद्धि इस तरह से की जाएगी कि विकास की रफ्तार पर बहुत असर नहीं पड़े। पिछली बैठक में उन्होंने भी रेपो रेट में 50 आधार अंकों की वृद्धि करने की हिमायत की थी। समिति के सभी सदस्यों ने रेपो रेट में 0.50 फीसद की वृद्धि करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। समिति के एक अन्य सदस्य डॉ. राजीव रंजन ने महंगाई से लड़ाई में केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को भी योगदान देने की बात कही है और इनसे अपने वित्तीय प्रबंधन को भी बेहतर करने का आग्रह किया है। केंद्र व राज्य सरकारें ज्यादा उधारी लेंगे या ज्यादा खर्च करेंगे तो उससे भी महंगाई को हवा मिलती है।


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